
महामृत्युंजय मन्त्र का जाप
पुराणों और शास्त्रों में असाध्य रोगों से मुक्ति और अकाल मृत्यु से बचने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का विशेष उल्लेख मिलता है । महामृत्युंजय मन्त्र भगवान शिव को प्रसन्न करने का मन्त्र है ।
महामृत्युंजय मन्त्र (Mahamrtunjay Mantra)
ॐ हौं जूं सः. ॐ भूः भुवःस्वः ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात . ॐ स्वः भुवःॐ सः जूं हौं ।।
महामृत्युंजय मन्त्र का अर्थ (Mahamrtunjay Mantra ka Arth)
हम अपनी तीसरी आंख पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो दो आँखों के पीछे है । यह हमें आपको महसूस करने की ताकत देती है और इसके द्वारा हम जीवन में खुश, संतुष्ट और शांति महसूस करते हैं ।
कब हुई महामृत्युंजय जाप की उत्पत्ति
यह मंत्र ऋग्वेद (मंडल 7, हिम 59) में पाया जाता है । यह मंत्र ऋषि वशिष्ठ को समर्पित है जो उर्वसी और मित्रवरुण के पुत्र थे ।
एक बार ऋषि मृकण्डु और उन पत्नी मरुद्मति ने पुत्र की प्राप्ति के लिए तपस्या की और भगवान शिव ने भक्ति से प्रभावित होकर उन्हें दो विकल्प दिए । जिसमें अल्पायु बुद्धिमान पुत्र और दीर्घायु मंदबुद्धि पुत्र में से एक का चयन करना था । मृकण्डु ने पहले विकल्प का चयन किया और उन्हें मार्कंडेय नाम के पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका जीवन काल मात्र 16 वर्ष था ।
मृकण्डु ने पहला विकल्प चुना और उन्हें मार्कंडेय की प्राप्ति हुई जिसका जीवन काल मात्र 16 वर्ष था । जब मार्कंडेय को अपने भाग्य के बारे में पता चला, तो उसने शिवलिंग के सामने तपस्या करना शुरू की । यम ने खुद उसे ले जाने आये । मार्कंडेय ने अपनी बाहों को शिवलिंग के चारों ओर लपेटकर भगवान शिव से दया की मांग की। यम ने उनको इस शिवलिंग से दूर करने की लेकिन भगवान शिव क्रोधित हो गए ।
शिवलिंग से प्रकट होकर सजा के तौर पर यम को मार दिया । भगवान शिव ने यम को इस शर्त पर पुनर्जीवित किया, कि बच्चा हमेशा के लिए जीवित रहेगा । शिवलिंग से प्रकट होकर सजा के तौर पर यम को मार दिया.भगवान शिव ने यम को इस शर्त पर पुनर्जीवित किया, कि बच्चा हमेशा के लिए जीवित रहेगा ।
यहीं से इस मंत्र की उत्पति हुई । यही कारण है कि भगवान शिव को कालांतक कहा जाता है । इस मंत्र को केवल ऋषि मार्कंडेय को ज्ञात गुप्त मंत्र माना जाता है ।
महामृत्युंजय मन्त्र के लाभ (Mahamrtunjay Mantra ke Labh )
यह मंत्र व्यक्ति को ना ही केवल मृत्यु भय से मुक्ति दिला सकता है बल्कि उसकी अटल मृत्यु को भी टाल सकता है । इस मंत्र का सवा लाख बार निरंतर जप करने से किसी भी बीमारी तथा अनिष्टकारी ग्रहों के दुष्प्रभाव को खत्म किया जा सकता है । इस मंत्र के जाप से आत्मा के कर्म शुद्ध हो जाते हैं और आयु और यश की प्राप्ति होती है. साथ ही यह मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है ।
महामृत्युंजय मंत्र जाप करते हुए रखे इन बातों का ध्यान
महाम़त्युंजय का जो भी मंत्र का जाप करें उसके उच्चारण ठीक ढंग से यानि की शुद्धता के साथ करें । इस मंत्र का जाप एक निश्चित संख्या निर्धारण कर करे । अगले दिन इनकी संख्या बढा एगर चाहे तो लेकिन कम न करें । मंत्र का जाप करते समट उच्चारण होठों से बाहर नहीं आना चाहिए । यदि इसका अभ्यास न हो तो धीमे स्वर में जप करें । इस मंत्र को करते समय धूप-दीप जलते रहना चाहिए । इस मंत्र का जाप केवल रुद्राक्ष माला से ही करे । इस मंत्र का जप उसी जगह करे जहां पर भगवान शिव की मूर्ति, प्रतिमा या महामृत्युमंजय यंत्र रखा हो । मंत्र का जाप करते वक्त शिवलिंग में दूध मिलें जल से अभिषक करते रहे ।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुख करके ही करें । इस मंत्र का जाप एक निर्धारित जगह पर ही करें । रोज अपनी जगह न बदलें । जितने भी दिन का यह जाप हो । उस समय मांसाहार बिल्कुल भी न खाएं ।
महामृत्युंजय मंत्र चमत्कारी एवं शक्तिशाली मंत्र
महामृत्युंजय मंत्र चमत्कारी एवं शक्तिशाली मंत्र है । जीवन की अनेक समस्याओं को सुलझाने में यह सहायक है । किसी ग्रह का दोष जीवन में बाधा पहुंचा रहा है तो यह मंत्र उस दोष को दूर कर देता है ।
