
कार्तिक अमावस्या 15 नवंबर, 2020 (रविवार)
कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली का पर्व मनाया जाता है। दिवाली मनाने के साथ-साथ इस दिन पितरों का तर्पण और दान-पुण्य के कार्यों का भी बहुत महत्व है। पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत के शांति पर्व में भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं कार्तिक अमावस्या के दिन का महत्व बताते हुए कहा है कि ‘यह मेरा प्रिय दिन है और इस दिन मेरी वंदना से मनुष्य के समस्त ग्रह दोष दूर हो जाएंगे’।
कार्तिक अमावस्या मुहूर्त
नवंबर 14, 2020 को 14:21 से अमावस्या आरम्भ.
नवंबर 15, 2020 को 10:40 पर अमावस्या समाप्त.
कार्तिक अमावस्या व्रत और धार्मिक कर्म
महाभारत के शांति पर्व में स्वयं भगवान श्री कृष्ण द्वारा कार्तिक अमावस्या के बारे में कहे गये वचनों से इसकी महत्वत्ता और भी बढ़ जाती है।
● इस दिन प्रातःकाल जागकर नदी, जलाश्य या पवित्र कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देने के पश्चात बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें।
● ग्रह संबंधित दोष और नवग्रहों की शांति के लिए प्रातःकाल नवग्रह स्त्रोत का पाठ करें।
● इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम के जाप की विशेष महिमा है। इसके प्रभाव से कुंडली में कितना भी खराब योग हो, वह दूर हो जाता है।
● कार्तिक अमावस्या को किसी देवालय या गरीब व्यक्ति के घर जाकर दीपक जलाने से शनि ग्रह से संबंधित पीड़ा दूर होती है।
● कार्तिक अमावस्या के दिन शिवलिंग का शहद से अभिषेक करना चाहिए।
कार्तिक अमावस्या पर दीप जलाने का महत्व
कार्तिक अमावस्या पर दिवाली की रात दीये जलाने की परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री राम वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे और इसी खुशी में अयोध्या वासियों ने घर-घर दीपक जलाकर खुशियां मनाई थीं। हालांकि दिवाली के दिन दीये जलाने को लेकर एक और मान्यता है। कहा जाता है कि पितृ पक्ष में जब पितृगण धरती पर आते हैं तो उन्हें पुनः पितृ लोक पहुंचने में परेशानी न हो, इसलिये दीयों से प्रकाश किया जाता है। हालांकि इस प्रथा का प्रचलन विशेष रूप से बंगाल में है।
कार्तिक अमावस्या पर होती है लक्ष्मी पूजा
कार्तिक अमावस्या के दिन लक्ष्मी पूजन होता है। अमावस्या की रात्रि समय पर लक्ष्मी जी का पूजन करने का बहुत ही विधान है। इस दिन कुबेर जी का पूजन भी होता है।
कार्तिक अमावस्या पर दीप जलाने का महत्व
अमावस्या के दिन स्नान सूर्योदय से पूर्व किया जाता है। स्नान कर पूजा-पाठ को खास अहमियत दी जाती है। पवित्र नदियों में स्नान का खास महत्व होता है। इस अमावस्या पर दीपदान का भी खास विधान होता है। यह दीपदान मंदिरों, नदियों के अलावा आकाश में भी किया जाता है। ब्राह्मण भोज, गाय दान, तुलसी दान, आंवला दान तथा अन्न दान का भी महत्व होता है। दीपदान का महत्व राम के अयोध्या लौटने की खुशी को व्यक्त करता है। साथ ही पितृों को मार्ग भी दिखलाता है। इन दोनों ही संदर्भ में कार्तिक मास में दीपक जलाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है।
कार्तिक अमावस्या पर तुलसी पूजा
कार्तिक अमावस्या के दिन में तुलसी की पूजा का खास महत्व है। मान्यता है कि तुलसी पूजा से भगवान विष्णु का आशिर्वाद प्राप्त होता है। तुलसी की पूजा कर भक्त भगवान विष्णु को भी प्रसन्न कर सकते हैं। इस महीने अमावस्या के दिन स्नान के बाद तुलसी और सूर्य को जल अर्पित किया जाता है। पूजा-अर्चना की जाती है। तुलसी के पौधे का कार्तिक अमावस्या में दान भी दिया जाता है। तुलसी पूजा न केवल घर के रोग, दुख दूर होते हैं बल्कि अर्थ, धर्म, काम तथा मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।
कार्तिक अमावस्या कथा
कार्तिक अमावस्या पर बहुत सी कथाएं और पौराणिक घटनाएं मौजूद हैं। इस दिन धार्मिक ग्रंथों और मंत्रों को पढ़ा जाता है। इस दिन पर मंत्र अनुष्ठान भी किए जाते हैं। कार्तिक अमावस्या के दिन एक कथा इस प्रकार है।
एक बार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि के दिन देवी लक्ष्मी पृ्थ्वी पर विचरण कर रही होती हैं। परंतु अंधकार अधिक होने के कारण दिशा सही से पता नहीं चल पाती है। देवी लक्ष्मी मार्ग से भटक जाती हैं। पर रस्ते में चलते चलते उन्हें एक स्थान पर कुछ दीपक की रोशनी दिखाई देती है। देवी उस रोशनी के नजदीक जाती हैं तो देखती हैं की वह एक झोपड़ी होती है। वहां एक वृद्ध स्त्री अपने घर के बाहर दीपक जलाए हुए थी और दरवाजा खुला हुआ था. वह स्त्री आंगन में बैठ कर अपना काम कर रही होती है।
देवी लक्ष्मी उस वृद्ध महिला से रात भर वहां रुकने के लिए स्थान मांगती हैं। वह वृद्ध महिला देवी लक्ष्मी को विश्राम करने के लिए स्थान और बिस्तर आदि की व्यवस्था करती है। देवी लक्ष्मी वहां विश्राम करने के लिए रुक जाती हैं। वृद्ध महिला के सेवाभाव ओर समर्पण के भाव से प्रसन्न होती हैं। इस दौरान वह वृद्ध महिला अपने काम करते करते सो जाती है।
अगले दिन जब वृद्धा जागती है तो देखती है की उसकी साधारण सी झोपड़ी महल के समान सुंदर भवन में बदल गयी थी। उसके घर में धन-धान्य की भरमार हो जाती है। किसी चीज की कमी नहीं रहती है। माता लक्ष्मी वहां से कब चली गई थीं, उसे वृद्ध महिला को पता ही नहीं चल पाता है। तब माता उसे दर्शन देती है की कार्तिक अमावस्या के दिन उस अंधकार समय जो भी दीपक जलाता है ओर प्रकाश से मार्ग को उज्जवल करता है उसे मेरा आशीर्वाद सदैव प्राप्त होता है। उसके बाद से हर वर्ष कार्तिक अमावस्या को रात्रि में प्रकाश उत्सव मनाने और देवी लक्ष्मी पूजन की परंपरा चली आ रही है। इस दिन माता लक्ष्मी के आगमन के लिए पूजा पाठ, घरों के द्वार खोलकर रखने चाहिए ओर प्रकाश करना शुभ फलदायक होता है।
