
रामायण से जुड़े रोचक तथ्य
रामायण को हिन्दू धर्म का एक पवित्र ग्रंथ माना गया है। इसमें कई ऐसी कथाएं हैं जिन्हे आमतौर पर तो सब लोग जानते हैं। लेकिन कुछ ऐसी बातों का भी वर्णन इसमें मिलता है जिसे अधिकतर जनमानस नजान हैं। जैसे देवी सीता लंका में बिना अन्न-जल ग्रहण किये इतने समय जिन्दा कैसे रही?
आज हम आपको श्री मंदिर के इस लेख में बताएंगें रामायण से जुड़े कुछ रोचक तथ्य ।
- रामायण महाकाव्य (Ramayana Mahakavya)
रामायण संस्कृत का एक महाकाव्य है जो कवी बालमीकि द्वारा रचित है। इस महाकाव्य में 24000 छंद है जो 7 अध्याय या खंड में विभाजित है। पाठकों अगर हम रामायण के हर हजार छंद का पहला अक्षर लें तो जो 24 अक्षर हमे मिलते हैं वो मिलकर गायत्री मन्त्र बनते हैं। - माता कैशल्या (Mata Kousaliya)
श्री राम की माँ कौशल्या,कौशल देश की राजकुमारी थी। इनके पिता का नाम सकौशल व माता का नाम अमृत प्रभा था। पूर्वजन्म में भगवान विष्णु ने कौशल्या को त्रेता युग में उनके गर्भ से जन्म लेने का वरदान दिया था। इसी कारण वो भगवान राम के रूप में इस धरती पर अवतरित हुए। - गौतम बुद्ध के पूर्वज राम- (Goutam Budh ke purvaj Ram)
वैवस्वत मनु के दस पुत्र थे। उनमें से एक इक्ष्वाकु के कुल में रघु हुए। रघु के कल में राम हुए। राम के पुत्र कुश हुए कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए जो महाभारत के काल में कौरवों की ओर से लड़े थे। शल्य की 25वीं पीढ़ी में सिद्धार्थ हुए जो शाक्य पुत्र शुद्धोधन के बेटे थे। इन्हीं का नाम आगे चलकर गौतम बुद्ध हुआ। यह नेपाल के लुम्बिनी में रहते थे। सिद्धार्थ के बाद राहुल, प्रसेनजित, क्षुद्रक, कुलक, सुरथ, सुमित्र हुए। जयपूर राजघरा की महारानी पद्मिनी और उनके परिवार के लोग की राम के पुत्र कुश के वंशज है। महारानी पद्मिनी ने एक अंग्रेजी चैनल को दिए में कहा था कि उनके पति भवानी सिंह कुश के 309वें वंशज थे। - शिवलिंग और सेतु का रहस्य (Shivling aur setu ka Rahsay)
14 वर्ष के वनवास में से अंतिम 2 वर्ष प्रभु श्रीराम दंडकारण्य के वन से निकलकर सीता माता की खोज में देश के अन्य जंगलों में भ्रमण करने लगे और वहां उनका सामना देश की अन्य कई जातियों और वनवासियों से हुआ। उन्होंने कई जातियों को इकट्ठा करके एक सेना का गठन किया और वे लंकी ओर चल पड़े। श्रीराम की सेना ने रामेश्वरम की ओर कूच किया। महाकाव्य ‘रामायण’ के अनुसार भगवान श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करने के पहले यहां भगवान शिव की पूजा की थी। रामेश्वरम का शिवलिंग श्रीराम द्वारा स्थापित शिवलिंग है। इसके बाद प्रभु श्रीराम ने नल और नील के माध्यम से विश्व का पहला सेतु बनवाया था और वह भी समुद्र के ऊपर। आज उसे रामसेतु कहते हैं जबकि राम ने इस सेतु का नाम नल सेतु रखा था। - रामायण के सबूत- (Ramayana ke Sabhut)
जाने-माने इतिहासकार और पुरातत्वशास्त्री अनुसंधानकर्ता डॉ. राम अवतार ने श्रीराम और सीता के जीवन की घटनाओं से जुड़े ऐसे 200 से भी अधिक स्थानों का पता लगाया है, जहां आज भी तत्संबंधी स्मारक स्थल विद्यमान हैं, जहां श्रीराम और सीता रुके या रहे थे। वहां के स्मारकों, भित्तिचित्रों, गुफाओं आदि स्थानों के समय-काल की जांच-पड़ताल वैज्ञानिक तरीकों से की। इन स्थानों में से प्रमुख के नाम है- सरयू और तमसा नदी के पास के स्थान, प्रयागराज के पास श्रृंगवेरपुर तीर्थ, सिंगरौर में गंगा पार कुरई गांव, प्रायागराज, चित्रकूट (मप्र), सतना (मप्र), दंडकारण्य के कई स्थान, पंचवटी नासिक, सर्वतीर्थ, पर्णशाला, तुंगभद्रा, शबरी का आश्रम, ऋष्यमूक पर्वत, कोडीकरई, रामेश्वरम, धनुषकोडी, रामसेतु और नुवारा एलिया पर्वत श्रृंखला। - रामायण के प्रमाण- (Ramayan ke Parman)
श्रीवाल्मीकि ने रामायण की संरचना श्रीराम के राज्याभिषेक के बाद वर्ष 5075 ईपू के आसपास की होगी (1/4/1- 2)। श्रुति-स्मृति की प्रथा के माध्यम से पीढ़ी-दर-पीढ़ी परिचलित रहने के बाद वर्ष 1000 ईपू के आसपास इसको लिखित रूप दिया गया होगा। इस निष्कर्ष के बहुत से प्रमाण मिलते हैं। रामायण की कहानी के संदर्भ निम्नलिखित रूप में उपलब्ध हैं- कौटिल्य का अर्थशास्त्र (चौथी शताब्दी ईपू), बौद्ध साहित्य में दशरथ जातक (तीसरी शताब्दी ईपू), कौशाम्बी में खुदाई में मिलीं टेराकोटा (पक्की मिट्टी) कीमूर्तियां (दूसरी शताब्दी ईपू), नागार्जुनकोंडा (आंध्रप्रदेश) में खुदाई में मिले स्टोन पैनल (तीसरी शताब्दी), नचार खेड़ा (हरियाणा) में मिले टेराकोटा पैनल (चौथी शताब्दी), श्रीलंका के प्रसिद्ध कवि कुमार दास की काव्य रचना ‘जानकी हरण’ (सातवीं शताब्दी), आदि। - श्रीराम की बहन- (Sri Ram ki Bahan)
श्रीराम की दो बहनें भी थी एक शांता और दूसरी कुकबी। हम यहां आपको शांता के बारे में बताएंगे। दक्षिण भारत की रामायण के अनुसार श्रीराम की बहन का नाम शांता था, जो चारों भाइयों से बड़ी थीं। शांता राजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री थीं, लेकिन पैदा होने के कुछ वर्षों बाद कुछ कारणों से राजा दशरथ ने शांता को अंगदेश के राजा रोमपद को दे दिया था। भगवान श्रीराम की बड़ी बहन का पालन-पोषण राजा रोमपद और उनकी पत्नी वर्षिणी ने किया, जो महारानी कौशल्या की बहन अर्थात श्रीराम की मौसी थीं। - रावण को मिला श्राप (Ravan ko Mila Shraph)
वाल्मीकि रामायण के अनुसार एक बार रावण अपने पुष्पक विमान से जा रहा था। उसने एक सुन्दर युवती को तप करते देखा। वह युवती वेदवती थी जो भगवान विष्णु को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थी। रावण उस पर मोहित हो गया और उसे जबरदस्ती अपने साथ ले जाने का प्रयास करने लगा। तब उस युवती ने रावण को श्राप दिया की तेरी मृत्यु का कारण एक स्त्री बनेगी और उसने अपने प्राण त्याग दिए। - राम की जल समाधि- (Ram ki Jal Samadhi)
श्रीराम द्वारा जल समाधि लेने की घटना को हिन्दू दलितों का धर्मान्तरण करने वाले आलोचकों ने आत्महत्या करना बताया। मध्यकाल में ऐसे बहुत से साधु हुए हैं जिन्होंने जिंदा रहते हुए सभी के सामने धीरे-धीरे देह छोड़ दी और फिर उनकी समाधि बनाई गई। राजस्थान के महान संत बाबा रामदेव (रामापीर) ने जिंदा समाधि ले ली थी, तो क्या हम यह कहें कि उन्होंने आत्महत्या कर ली? दरअसल, अयोध्या आगमन के बाद राम ने कई वर्षों तक अयोध्या का राजपाट संभाला और इसके बाद गुरु वशिष्ठ व ब्रह्मा ने उनको संसार से मुक्त हो जाने का आदेश दिया। एक घटना के बाद उन्होंने जल समाधि ले ली थी।
सरयू नदी में श्रीराम ने जल समाधि ले ली थी। अश्विन पूर्णिमा के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने अयोध्या से सटे फैजाबाद शहर के सरयू किनारे जल समाधि लेकर महाप्रयाण किया। श्रीराम ने सभी की उपस्थिति में ब्रह्म मुहूर्त में सरयू नदी की ओर प्रयाण किया उनके पीछे थे उनके परिवार के सदस्य भरत, शत्रुघ्न, उर्मिला, मांडवी और श्रुतकीर्ति। ॐ का उच्चारण करते हुए वे सरयू के जल में एक एक पग आगे बढ़ते गए और जल उनके हृदय और अधरों को छूता हुआ सिर के उपर चढ़ गया।
