
राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का विवाद
हमारे पौराणिक ग्रन्थ रामायण और रामचरित मानस के अनुसार भगवान श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ था । उनके जन्म स्थान पर एक भव्य मन्दिर विराजमान था, जो इसका प्रमाण है कि पहले से ही अयोध्या में राम मंदिर था । लेकिन पिछले 500 वर्षों से इस पर विवाद चल रहा था कि यहां पर मस्जिद बनी हुई थी । आज हम श्री मंदिर पर आपके लिए लेकर आए है राम मंदिर और मस्जिद के बीच की सच्चाई ।
राम मंदिर या बाबरी मस्जिद
सन् 1528 में मुगल बादशाह बाबर ने (विवादित जगह पर) मस्जिद का निर्माण कराया । जो कि भगवान श्री राम की जन्म भूमि हैं, जहां पहले श्री राम मंदिर बना था ।
सन् 1853-1949 तक
1853 में इस जगह के आसपास पहली बार दंगे हुए । 1859 में अंग्रेजी प्रशासन ने विवादित जगह के आसपास बाड़ लगा दी । मुसलमानों को ढांचे के अंदर और हिंदुओं को बाहर चबूतरे पर पूजा करने की इजाजत दी गई ।
सन् 1949 का विवाद
सन् 1949 में असली विवाद शुरू हुआ 23 दिसंबर 1949 को, जब भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गईं। हिंदुओं का कहना था कि भगवान राम प्रकट हुए हैं, जबकि मुसलमानों ने आरोप लगाया कि किसी ने रात में चुपचाप मूर्तियां वहां रख दीं । यूपी सरकार ने मूर्तियां हटाने का आदेश दिया, लेकिन जिला मैजिस्ट्रेट के. के. नायर ने दंगों और हिंदुओं की भावनाओं के भड़कने के डर से इस आदेश को पूरा करने में असमर्थता जताई । सरकार ने इसे विवादित ढांचा मानकर ताला लगवा दिया ।
सन् 1950 से 1984 तक
फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो अर्जी दाखिल की गई । इसमें एक में राम लला की पूजा की इजाजत और दूसरे में विवादित ढांचे में भगवान राम की मूर्ति रखे रहने की इजाजत मांगी गई । 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने तीसरी अर्जी दाखिल की ।
सन् 1961 में यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अर्जी दाखिल कर विवादित जगह के पजेशन और मूर्तियां हटाने की मांग की ।
साल 1984 में विवादित ढांचे की जगह मंदिर बनाने के लिए 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने एक कमिटी गठित की ।
सन् 1986 में यू.सी. पांडे की याचिका पर फैजाबाद के जिला जज के.एम. पांडे ने 1 फरवरी 1986 को हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत देते हुए ढांचे पर से ताला हटाने का आदेश दिया ।
6 दिसंबर 1992 को बीजेपी, वीएचपी और शिवसेना समेत दूसरे हिंदू संगठनों के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया । देश भर में हिंदू-मुसलमानों के बीच दंगे भड़के गए, जिनमें 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए।
सन् 2002 में हिंदू कार्यकर्ताओं को ले जा रही ट्रेन में गोधरा में आग लगा दी गई, जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई । इसकी वजह से हुए दंगे में 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए ।
सन् 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा के बीच 3 बराबर-बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया ।
सन् 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई ।
सन् 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट का आह्वान किया । बीजेपी के शीर्ष नेताओं पर आपराधिक साजिश के आरोप फिर से बहाल किए ।
8 मार्च 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा । पैनल को 8 सप्ताह के अंदर कार्यवाही खत्म करने को कहा ।
फिर 1 अगस्त 2019 को मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट प्रस्तुत की और 2 अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान निकालने में विफल रहा और 6 अगस्त 2019 से सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई ।
16 अक्टूबर 2019 को अयोध्या मामले की सुनवाई पूरी हुई और सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा ।
अब 5 अगस्त 2020 को अयोध्या की धरती पर श्री राम मंदिर का शिल्यानास होने जा रहा है, जिसमें माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ मंदिर के भूमि पूजन का शिल्यानास करेंगें ।
