
500 साल बाद पूरा हुआ राम मंदिर का सपना
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर 500 साल पुराना सपना पूरा होने जा रहा है। आगामी पांच अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा भूमि पूजन किए जाने के साथ ही अयोध्या की धरती पर इतिहास लिखा जाएगा, जिसे आने वाली पीढ़ियां भी याद रखेंगी।
भूमि पूजन के कार्यक्रम को लेकर देशभर में उल्लास का वातावरण है। अयोध्या नगरी को दीपकों से दुल्हन की तरह सजाने की तैयारियां चल रही हैं। भूमि पूजन के बाद से ही यहां राम मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से शुरू हो जाएगा।
राममंदिर आंदोलन में शामिल लोगों का सपना पूरा
वहीं राम मंदिर आंदोलन में अपना पूरा जीवन खपाने वाले लोगों की प्रसन्नता भी चरम पर पहुंच चुकी है। राम मंदिर आंदोलन का हिस्सा रहे इन लोगों का कहना है कि ‘राम लला हम आएंगे मंदिर यहीं बनाएंगे’ के नारे की अब सिद्धि होने वाली है ।
वर्षों का संघर्ष अब फलीभूत और सदियों का सपना साकार होने को है। बजरंग दल के संस्थापक अध्यक्ष पूर्व सांसद विनय कटियार, पूर्व सांसद डॉ रामविलास दास वेदांती, महंत धर्मदास, महंत सिया किशोरी शरण, विहिप के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज, सहित शरद शर्मा आदि ने जीवन भर राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और इसमें अपनी पूरी जिंदगी गुजार दी। इन सभी का राम मंदिर आंदोलन से गहरा जुड़ाव रहा। 1989 से लेकर आज तक राम मंदिर निर्माण के लिए जितने संघर्ष हुए उन सब में इनकी सक्रिय भागीदारी रही है। इन लोगों का कहना है कि जिन कारसेवकों ने गोली खाकर जान गंवाई है, राम मंदिर का निर्माण उन्हें श्रद्धांजलि जैसा है। राम मंदिर निर्माण की खुशी शब्दों में बयां नहीं की जा सकती।
खत्म हुआ राम मंदिर का लंबा इंतजार
500 वर्षों से जिस पल की प्रतीक्षा हिंदू समाज करता रहा है । वह अब साकार होने को है । पूरे देश व विश्व के हिंदुओं के लिए यह प्रसन्नता दायक है । सैकड़ों वर्षो का जो लंबा इंतजार था वह लाखों की आहुति के बाद आखिरकार पूरा होने जा रहा है । यह हमारे लिए उत्सव जैसा माहौल है ।
राममंदिर निर्माण से लौटेगा अयोध्या का गौरव
राम जन्मभूमि न्यास के सदस्य व पूर्व सांसद डॉ रामविलास दास वेदांती भी राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाते रहे। उनका कहना है कि राम मंदिर के लिए लाखों राम भक्तों के आंख में जो जुनून उन्होंने देखा था उसकी पूर्ति अब होने वाली है। राम मंदिर निर्माण होने से ना सिर्फ वर्षों के संघर्ष को फल मिलेगा बल्कि रामनगरी का गौरव भी लौटेगा। हमारे लिए इससे बड़ा सौभाग्य और क्या हो सकता है कि जिस राम मंदिर के लिए हमने वर्षों तक संघर्ष किया अब वह बहुत जल्द ही साकार रूप में हम सबके सामने होगा ।
लाखों बलिदान का प्रतिफल है राम मंदिर
निर्वाणी अनी अखाड़े के श्री महंत धर्मदास भी राम मंदिर आंदोलन में 1961 से ही जुड़े रहे हैं। उनके गुरु बाबा अभिराम दास ने ही 1949 में मूर्ति रखी थी 1961 में बाबा अभिराम दास के निधन के बाद महंत धर्मदास ने उनके आंदोलन की बागडोर संभाल ली। महंत धर्मदास कहते हैं कि राम मंदिर आंदोलन की लड़ाई में शामिल होने के चलते वे दर्जनों मुकदमे झेल रहे हैं। कहते हैं कि अब बहुत ही बड़ी खुशी की बात है कि हमारे ईश्वर का मंदिर बनने जा रहा है। कहा की राम मंदिर निर्माण के लिए जो सपना लाखों राम भक्तों ने देखा था, अब वह पूरा होगा, संकल्प की सिद्धि होने से मन अत्यंत प्रसन्न है
