
कोन है मां कमला ? , जाने कमला साबर मंत्र जिससे भर जाएगी आपकी तिजोरी ।
ॐ अ-योनी शंकर ॐ-कार रुप, कमला देवी सती पार्वती का स्वरुप । हाथ में सोने का कलश, मुख से अभयमुद्रा । श्वेत वर्ण सेवा पूजा करे, नारद इन्द्रा । देवी देवत्या ने किया जयॐ-कार । कमला देवी पूजो केशर पान सुपारी, चकमक चीनी फतरी तिल गुग्गल सहस्र कमलों का किया हवन । कहे गोरख, मन्त्र जपो जाप जपो ऋद्धि सिद्धि की पहचान गंगा गौरजा पार्वती जान । जिसकी तीन लोक में भया मान ।कमला देवी के चरण कमल को आदेश । ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्ध-लक्ष्म्यै नमः ।
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यह मंत्र को एक निश्चित संख्या में जपे ओर गुरु के निर्देशन में, महाशक्ति और महाविद्या देवी कमला यानी लक्ष्मी जी हैं। संपन्नता, खुशहाली, वैभव, सौभाग्य, धन-यश की प्रतीक देवी कमला दसवें स्थान पर हैं। वह परम सौभाग्य प्रदात्री हैं। जो जातक उनकी आराधना करता है, वह उनका घर धन और धान्य से परिपूर्ण कर देती हैं। कमल के पुष्प पर विराजमान देवी कमला का संबंध कमल से है। कमल पर पुष्प पर आसीन होने के कारण ही उनका नाम कमला पड़ा। देवी को कमल पुष्प प्रिय है। कमल कीचड़ और दलदल में खिलता है। यानी नाकारात्मक परिवेश होने पर भी सकारात्मकता के पुष्प खिल सकते हैं।
स्वच्छता और पवित्रता देवी भगवती को प्रिय है। उनका अलग से श्रीकुल है। उनको प्रकाश प्रिय है। अंधेरे से नफऱत है। वह नारायणी हैं। भगवान विष्णु के साथ गमन करती हैं। वह प्रसन्न होती हैं जो तिजोरी भर देती हैं। लेकिन यदि अप्रसन्न होती हैं तो अपनी बहन अलक्ष्मी के साथ वह रंक भी बना देती हैं। देवी की आराधना तीनों लोकों में दानव, दैत्य, देवता तथा मनुष्य सभी करते हैं।
देवी आदि काल से ही त्रि-भुवन के समस्त प्राणिओं द्वारा पूजित हैं। देवी की कृपा के बिना, निर्धनता, दुर्भाग्य, रोग इत्यादि होते हैं।
स्वरूप से देवी कमला अत्यंत ही दिव्य तथा मनोहर एवं सुन्दर हैं, इनकी प्राप्ति समुद्र मंथन के समय हुई थीं तथा इन्होंने भगवान विष्णु को पति रूप में वरन किया था। देवी कमला! तांत्रिक लक्ष्मी के नाम से भी जानी जाती हैं, श्री विद्या महा त्रिपुरसुन्दरी की आराधना कर देवी, श्री पद से युक्त हुई तथा महा-लक्ष्मी नाम से विख्यात भी। देवी कमला चतुर्भुजी हैं।
