
क्या है वशीकरण विद्या।
तन्त्र के षट्कर्मों में ये क्रिया आती है, वशीकरण की अनेकों विधियां है तन्त्र में लेकिन अघोर विधि अपने आपमे ही उच्च है क्योकि अघोर विधि से कार्य शीघ्र प्रभावी होता है और इसकी काट सरल नही होती। आधात्मिक मार्ग में इसके प्रयोग की बात करे तो वशीकरण का प्रयोग शक्तियो पर किया जाता है क्योकि अधिकतर शक्तिया विधि विधान से साधना आदि करने के बाद भी नही आती तब साधक वशीकरण विद्या द्वारा शक्ति को अपने वशीकृत करके बुलाता है और उससे कार्य लेता है। इसमे बहुत लोग कहेंगे कि ये तो गलत है लेकिन यदि आपका कार्य करने का उद्देश्य सही हो तो गलत नही है, शाबर मंत्रों द्वारा तो गालियां देकर और पिटाई करके भी शक्तियो से कार्य करवाते है तो ये तन्त्र है।
वशीकरण का प्रयोग सांसारिक जीवन मे देखे तो यदि किसी की सन्तान गलत मार्ग पर चली गयी हो, पति पत्नी के आपसी सबन्ध सही नही हो, या अकारण ही कोई व्यक्ति पत्नी को छोड़ देता या कोई पत्नी अकारण से पति पर गलत आरोप लगा देती है या कभी कभी लड़की गलत मनुष्य के प्रेम में पड़ जाती है या कोई पुरुष विवाहित होते हुए भी अन्य स्त्री से सबन्ध रखता है तो ऐसी परिस्थितियों में वशीकरण का प्रयोग किया जाता है। अपने स्वार्थ के लिए किसी का वशीकरण करना या करवाना दोनो ही गलत होता है जिसका परिणाम आने वाले समय मे भोगना होता है। आजकल अधिकतर इसका प्रयोग प्रेमिका को पाने के लिए किया जाता है जो पूर्णतया अनुचित होता है किसी का प्रेम गलत तरीके से प्राप्त करना सही नही होता।
