
माता मातंगी को क्यों लगता है , झूठा भोग
महाविद्या में नवम स्वरूप माँ मातङ्गी के विषय में एक सामान्य जानकारी:-
मतंग शिव का नाम है। इनकी शक्ति मातंगी है। यह हरा वर्ण और चन्द्रमा को मस्तक पर धारण करती हैं। यह पूर्णतया वाग्देवी की ही पूर्ति हैं। चार भुजाओं में इन्होंने कपाल(जिसके ऊपर तोता बैठा), वीणा,खड्ग वेद धारण किया है। मां मातंगी तांत्रिकों की सरस्वती हैं। पलास और मल्लिका पुष्पों एवं युक्त बेलपत्रों के द्वारा पूजा करने से व्यक्ति के अंदर आकर्षण और स्तम्भन शक्ति का विकास होता है। ऐसा व्यक्ति जो मातंगी महाविद्या की सिद्धि प्राप्त करेगा, वह अपने क्रीड़ा कौशल से या कला संगीत से दुनिया को अपने वश में कर लेता है। वशीकरण में भी यह महाविद्या कारगर होती है। हिन्दू धर्म के अनुसार मातंगी ही एक ऐसी देवी है जिन्हें जूठन का भोग लगा लगाया जाता है ऐसा कहते हैं कि मातंगी देवी को झूठा किये बिना भोग नहीं लगता है । मातंगी देवी समता की सूचक है ।ऐसा कहते हैं,जब माता पार्वती को चंडाल स्त्रीऔ द्वारा अपने झूठन का भोग लगाया तब सभी देवगण और शिव जी के भूतादिकगण इसका विरोध करने लग गए लेकिन माता पार्वती ने चंडालिया की श्रद्धा को देख कर मातंगी का रूप लेकर उनके द्वारा चढ़ाए गए जूठन को ग्रहण किया

