
ज्वाला जी शक्ति पीठ ओर ज्वाला जी साधना व पूजा विधि
दिव्यधाम ज्वालादेवी
” जले ज्वाला स्थले ज्वाला, ज्वाला आकाश मंडले
त्रैलोक्ये व्यापिनी देवी ज्वाला देवी नमोस्तुते”
भावार्थ: जल, थल, आकाश, तीनो लोको में विराजने वाली वाली माँ भगवती जवाला आपको बारम्बार नमन है।।
हिमाचल प्रदेश राज्य का ज्वाला देवी मंदिर ,भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। माँ ज्वाला देवी का यह मंदिर देवी सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर में नौ विभिन्न ज्वालाएं जल रही है। चमत्कारी बात यह है की वह ज्वाला बिना किसी तेल व बाती के प्राचीन काल से प्रज्वलित है। बहुत से लोगों ने इसे बूझाने की कोशिश की परन्तु असफल रहे है। मान्यताओं के अनुसार इस स्थान पर देवी सती की जिव्हा गिरी थी। माँ जगदंबा को प्रसन्न करने हेतु किया जाता है दुर्गा सप्तशती का पाठ एवं हवन। देवी की आराधना में हवन का अधिक महत्व माना जाता है। इस पूजा के माध्यम से सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है तथा मंत्रों से हवन की महाअहुति भी अर्पण की जाती है ।
देवी ज्वाला के नौ ज्वालाओं को देवी दुर्गा के नौ रूप को समर्पित माना जाता है। जिसके कारण यहाँ नवदुर्गा स्वरुप की आराधना भी की जाती है। यदि कोई व्यक्ति कार्य क्षेत्रों में निरंतर घाटा झेल रहा हो और इस मुश्किल का हल उसे न प्राप्त हो रहा हो। तो बिना किसी संकोच के उसे देवी ज्वाला की इस पूजा को करवाना चाहिए। देवी की कृपा से उसकी सभी परेशानियां हो जाएंगी तथा उसके जीवन में व्यथा का कोई स्थान नहीं होगा।

श्री ज्वाला जी मंदिर में देवी मां के दर्शन नवज्योति के रूप में होते हैं। यह ज्योतियां कभी कम या अधिक भी रहती हैं, जो नवदुर्गा के रूप में संपूर्ण ब्रह्मांड की रचना करने वाली है जिनके सेवक सत्व, रज और तम यह तीन गुण हैं। मंदिर के द्वार से प्रवेश करते समय चांदी के आले में जो मुख्य ज्योति प्रदिप्तिमान है उसे महाकाली का रूप कहा जाता है। जो सांसारिक प्राणियों को भक्ति, एवं मुक्ति के प्रदाता कही जाती हैं। अन्य पवित्र ज्योतियां जिनके दर्शन मात्र से प्राणियों के दुख दारिद्र्य एवं पापों का विनाश होता है। महाकाली ज्योति के नीचे भंडार भरने वाली, अर्थात अन्न धन से सदैव परिपूर्ण करने वाली माता अन्नपूर्णा की पवित्र ज्योति है, दूसरी और अर्थात तीसरी ज्योति चंडी माता की है जो सदा शत्रुओं का विनाश करने में तत्पर रहती हैं। समस्त व्याधियों का नाश करने वाली चौथी पवित्र ज्योति हिंगलाज भवानी की है। पांचवी ज्योति सुख समृद्धि संपत्ति एवं वैभव देने वाली देवी महालक्ष्मी की है। माता महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होने से प्राणी को समस्त भौतिक सुख प्राप्त होते हैं। षशटम ज्योति देवी विंध्यवासिनी की है जो शोक से छुटकारा देकर अभय प्रदान करती हैं।

सातवी देवी की पवित्र ज्योति विद्यादायिनी, वीणावादिनी माता महासरस्वती की है, जिनकी कृपा से प्राणी को ज्ञान एवं बुद्धि प्राप्त होती है। कहा गया है कि जो विद्याहीन है, मूर्ख है वह पृथ्वी पर मनुष्य रूप में जन्म लेकर भी पशु के समान है अर्थात बुद्धिमान प्राणी की सर्वत्र पूजा होती है जो माता सरस्वती की कृपा से ही संभव है। आठवीं ज्योति के रूप में संतान सुख प्रदान करने वाली देवी अंबिका हैं। देवी अंबिका के सच्चे मन और पूर्ण श्रद्धा से उपासना करने वाली स्त्रियों को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। आयु और सुख प्रदान करने वाली नवी ज्योति देवी अंजना की है। माता अंजना की कृपा से अल्पायु प्राणी की दीर्घायु होकर सुखी जीवन व्यतीत करते हैं।
ज्योति स्वरूप स्थित देवियां और उनकी कृपा से प्राप्त होने वाले पुण्य फल-
- महाकाली- भक्ति एवं मुक्ति के देवी
- अन्नपूर्णा- धन-धान्य प्रदान करने वाली देवी
- चंडी – शत्रुविनाशिनी
- हिंगलाज भवानी- व्याधियों का नाश करने वाली
- विंध्यवासिनी -शोक निवासिनी
- महालक्ष्मी -धन संपत्ति और वैभव की देवी
- सरस्वती- विद्या दात्री
- अंबिका -संतान प्रदाता
- अंजना देवी -आयु एवं सुख की देवी
उपरोक्त ज्योति स्वरूप स्थिति देवियों की आराधना करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है इसमें संदेह नहीं लेकिन देवियों की कृपा प्राप्त करने के लिए सच्चे मन और सच्ची श्रद्धा की आवश्यकता है।
उपासना ;- ज्वालादेवी की प्रतिमा या तस्वीर को एक चौरंगी पर स्थापित करे । पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करे । आरती प्रसाद करने के बाद माता के इस मंत्र का जाप करे । मंत्र :-
मंत्र-ॐ ह्रीँ श्रीँ क्लीँ सिद्धेस्वरी ज्वालामुखी ज्रांभिनी स्थाँभिनी मोहिनी वशिकरणी परमन क्षीभीणी सर्वशत्रु निवारिणी ॐ औँ त्रैँ ह्रीँ पाहि पाहि अक्षोभय अक्षोभय सर्वजन मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा।।
भगवती प्रसन्नता हेतु शतचंडी का पाठ करे । 21 दिन का ये अनुष्ठान श्रेष्ठ फलदायी है । पूर्णाहुति समापन पूजा समय कन्या पूजन माता की पूर्ण प्रसन्नता देता है ।
पराम्बा के इस दिव्य अनुष्ठान से हरेक मनोकामना पूर्ण होती है । किसी भी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिलती है ।
