
तांत्रोक्त भैरवकवच और इसे ऐसे करे सिद्धि
आज सोमवार 7/12/20 भैरव जयंती में गुरुदेव,गणपति को प्रणाम कर,अपनी तथा परिवार की रक्षा के लिए संकल्प करें, दक्षिण दिशा की ओर मुख करके लाल आसन पर बैठकर तेल का दीपक लगा कर भैरव जीका ध्यान कर पूजन करें, लाल फूल,सिंदूर चढ़ाये।नैवेध में जलेबी/इमरती,सीरा या सूजी का हलवा, गुड़, पापड़ का भोग एवं 2लोंग भी भैरव जी को रखें।फिर भैरव कवच 5या11वार अवश्य करें।तथा हकीक/रुद्राक्ष मालासे ॐ क्रीम क्रीम काल भैरवाय नमः। की 21या51 माला जरूर करें।। 〰️〰️भैरव कवच〰️〰️
*ॐ सहस्त्रारे महाचक्रे कर्पूरधवले गुरुः।
पातु मां बटुको देवो भैरवः सर्वकर्मसु।।
पूर्वस्यामसितांगो मां दिशि रक्षतु सर्वदा।
आग्नेयां च रुरुः पातु दक्षिणे चण्ड भैरवः।।
नैॠत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे।
वायव्यां मां कपाली च नित्यं पायात् सुरेश्वरः।।
भीषणो भैरवः पातु उत्तरास्यां तु सर्वदा।
संहार भैरवः पायादीशान्यां च महेश्वरः।।
ऊर्ध्वं पातु विधाता च पाताले नन्दको विभुः।
सद्योजातस्तु मां पायात् सर्वतो देवसेवितः।।
रामदेवो वनान्ते च वने घोरस्तथावतु।
जले तत्पुरुषः पातु स्थले ईशान एव च।।
डाकिनी पुत्रकः पातु पुत्रान् में सर्वतः प्रभुः।
हाकिनी पुत्रकः पातु दारास्तु लाकिनी सुतः।।
पातु शाकिनिका पुत्रः सैन्यं वै कालभैरवः।
मालिनी पुत्रकः पातु पशूनश्वान् गंजास्तथा।।
महाकालोऽवतु क्षेत्रं श्रियं मे सर्वतो गिरा।
वाद्यम् वाद्यप्रियः पातु भैरवो नित्यसम्पदा।।
इस आनंददायक कवच से रक्षा होती है।आप चाहे तो इस कवच प्रति रविवार पाठ करने से भी प्रत्येक विपत्ति में सुरक्षा प्राप्त होती है| यदि योग्य गुरु के निर्देशन में इस कवच का अनुष्ठान सम्पन्न किया जाए तो साधक सर्वत्र विजयी होकर यश, मान, ऐश्वर्य, धन, धान्य आदि से पूर्ण होकर सुखमय जीवन व्यतीत करता है। विशेष:- साधना के बाद भैरव के वाहन श्वान(कुत्ते) को कुछ भोग में से खिलाएं, बाकी प्रसाद आप ग्रहण करें।
