
क्यों जगन्नाथ मंदिर के इन चमत्कारों पर विज्ञान भी करता है नमस्कार
जगन्नाथ मंदिर की बहुत सी विशेषताएं हैं। यहां के चमत्कारों को जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। जगन्नाथ धाम चारों धामों में से एक है या भगवान अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ विराजते हैं। ऐसी मान्यता है कि द्वापर के बाद जगन्नाथ के रूप में भगवान श्रीकृष्ण पुरी में निवास करने लगे। इस मंदिर की अनेकों विशेषताएं हैं यहां के चमत्कारों को जानकर कोई भी हैरान रह जाएगा और आज हम आपको बताएंगे इसी धाम से जुड़े रोमांचक रहस्य।

आपको बता दें जगन्नाथ धाम में हवा के विपरीत लाल ध्वज सदैव लहराता रहता है। इसका कारण कोई नहीं जानता लेकिन यह काफी आश्चर्यचकित करने वाली बात है। इसके अलावा आपको बता दें यह भी आश्चर्य की बात है कि प्रतिदिन सांयकाल मंदिर के ऊपर ध्वज को मानव द्वारा उल्टा चढ़ कर बदला जाता है। ध्वज में इतना भव्य है कि यह लहराता है तो लोग देखते ही रह जाते हैं। इस ध्वज पर भगवान शिव का चंद्रधनुष बना हुआ है।
भगवान जगन्नाथ के इस मंदिर में विश्व की सबसे बड़ी जात यात्रा निकाली जाती है। यह यात्रा 5 किलोमीटर की होती है। भगवान जगन्नाथ का रथ नंदीघोष है। देवी सुभद्रा का रथ दर्पदलन है भाई बलभद्र का रथ तल ध्वज है और पूरी के गजपति महाराज सोने की जड़ों को बुहारते हैं जिसे छेहरा पैररन कहते हैं।

यह दुनिया का सबसे भव्य ऊंचा मंदिर है। यह मंदिर 4 लाख वर्ग फुट में फैला है लेकिन इसके बावजूद भी इसके गुबंद को देख पाना असंभव है और मुख्य गुबंद की परछाई किसी भी समय नहीं दिखाई देती है।
पूरी में इस मंदिर में किसी भी स्थान से आप शीर्ष पर लगे सुदर्शन देखेंगे तो सदैव आपको अपने सामने ही दिखेगा। इस चक्र को निलचक्र भी कहते हैं। अष्टधातु से निर्मित अति पवित्र पावन माना जाता है।
आम दिनों में हवा समुंद्र से जमीन की तरफ जाती है और शाम को इसके विपरीत होता है लेकिन पूरी में इसका उल्टा होता है। यहाँ समुद्र तटों पर हवा जमीन की ओर से आती है और शाम को जमीन से समुद्र की ओर जाती है।

भव्य मंदिर के आसपास आज तक कोई पक्षी नहीं देखा गया। इसके ऊपर से विमान भी नहीं उड़ाया जा सकता। इसके शिखर के पास पक्षी भी नजर नहीं आते जबकि अक्सर देखा जाता है कि मंदिर के गुबंद पर पक्षी बैठ जाते हैं लेकिन इस मंदिर के पास उड़ते हुए भी नजर नहीं आते।
भगवान के इस भव्य मंदिर में 300 सहयोगी 500 रसोइयों में एक साथ खाना बनाते हैं। भगवान जगन्नाथ जी का प्रसाद लगभग 20 लाख भक्त ग्रहण करते हैं। कहा जाता है कि मंदिर के प्रसाद अगर कुछ हजार लोगों के लिए भी बनाया जाए तब भी इससे लाखों लोगों का पेट भर सकता है।
