
त्रिकोणासन कैसे करें और यह कैसे लाभकारी है?
त्रिकोणासन शब्द का अर्थ होता है तीन कोणों वाला आसन क्योंकि इस आसन के अभ्यास के समय धड़, हाथ और पैर से एक त्रिभुज आकृति दृश्य में दिखाई देती है। इसीलिए इसे त्रिकोणासन भी कहते हैं। यह आसन आपके मेरुदंड को लचीला बनाता है। जांघों एवं कटी भाग की मांसपेशियों को और पिंडलियों को मजबूत बनाता है तथा फेफड़े की कार्य क्षमता को भी बढ़ाता है

त्रिकोणासन करने के लिए अपने दोनों पैरों के बीच 3 फुट का फासला बना ले और आराम से खड़े हो जाएं।
दोनों हाथों को बगल से कंधे के स्तर तक धीरे-धीरे उठाना चाहिए।
दोनों पैरों के पंजे को दाएं तरफ मोड़ें और स्वास शरीर से बाहर छोड़ते हुए धीरे-धीरे दाएं तरफ झुकना है और झुकने के वक्त अपने हाथ की उंगलियों को पैर के पीछे की ओर रखना है।
बाएं हाथ को सीधा ऊपर की ओर रखते हुए दाएं हाथ को सिर में लाना चाहिए और सिर को घुमाते हुए बाएं हाथ की बीच वाली उंगली को देखना चाहिए।
सामान्य सांस लेते हुए इस आसन को 10 से 30 सेकंड तक करें और सांस शरीर के अंदर लेते हुए प्रारंभिक अवस्था में वापस आ जाए। इस आसन को ऐसे ही दूसरी ओर से भी करें।
लेकिन स्लिप डिस्क साइटिका या किसी भी प्रकार की सर्जरी होने के बाद इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए। आसन को करते वक्त यदि आप जमीन को ना छुपाए तो अपने घुटने को छूने का प्रयास करें।
