
क्यों व्रत के दिन घी, दूध, मेवा और फल खाए जाते हैं जानिए इसके पीछे के तथ्य
उपवास मस्तिष्क और शरीर को सात्विक रखने के लिए कोशिश है और यह कोशिश दिन, महीने, साल तक कितनी भी अवधि के लिए हो सकती है। व्रत यानी अनुशासन और समर्पण भी होता है। उपवास के दौरान कुछ भी खाया जा सकता है। जिसमें फलाहार या दिन में एक समय भोजन भी हो सकता है। उपवास के दौरान शाही वस्तुओं का इस्तमाल से परहेज को अनुशासन बताया गया है।

उपवास के दौरान यह दूध, फल, मेवा और घी इसलिए मान्य है क्योंकि यह भगवान को अर्पित किए जाने वाली चीजें हैं। प्राकृतिक भोजन शरीर को सात्विकता प्रदान करता है। उपवास के दौरान किए जाने वाले अनुष्ठानों का व्यापक अभिप्रिय है। इस तरीके के व्रत करने से शरीर में पैदा होने वाले विषैले पदार्थों के प्रभाव को समाप्त हो जाता है। शारीरिक वृद्धि के लिए अदरक का पानी, अंगूर या तुलसी का जल भी ग्रहण किया जा सकता है। मानसिक स्थिति के लिए धार्मिक सभाओं में भाग लेना, दान, ध्यान और सत्संग भी करना चाहिए। व्रत की प्रतिक्रिया सिर्फ खाने या सात्विक भोजन से पूरी नहीं हो जाती इसके लिए सुबह ध्यान करना जरूरी है साथ ही मन का शांत होना भी जरूरी है
