
उज्जैन को क्यों सब तीर्थों में स्वर्ग से भी बढ़कर माना गया है जानिए कारण
संपूर्ण भारत में उज्जैन यानि बाबा महाकाल की नगरी को तीर्थों में सबसे श्रेष्ठ माना गया है। ऐसे यहां पर कई कारण मौजूद है क्योंकी जितने महत्वपूर्ण और प्रमुख स्थान यहां मौजूद है। उतने किसी भी तीर्थ क्षेत्र में नहीं है। आज हम आपको इन प्रमुख कारणों के बारे में बताएंगे।
सबसे पहला और मुख्य कारण है। यहां पर मौजूद बाबा महाकाल का ज्योतिर्लिंग। यहाँ महाकाल के ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। यह भगवान शिव के 12 शिवलिंग में से एक है। यह भारत में एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जहां ताजी भसम से प्रार्थना आरती होती है।

काल भैरव मंदिर की बात करे तो उज्जैन के भैरवगढ़ में साक्षात भैरवनाथ विराजमान है। यहां भगवान की मूर्ति मदिरापान करती हैं और ऐसा विश्व के किसी और दूसरे मंदिर में नहीं है। यह मंदिर लगभग 6000 साल पुराना है।
उज्जैन में 2 शक्तिपीठ माने गए हैं। पहला गढ़ कालिका माता और दूसरा हरसिद्धि माता। इनका वर्णन पुराणों में किया गया है कि मध्य प्रदेश के शिप्रा नदी के तट के पास स्थित भैरव पर्वत पर मां सती के ओष्ठ गिरे थे और कहा जाता है कि हरसिद्धि का मंदिर जहाँ स्थित है वहाँ सती के हाथ की कोनी आकर गिर गई थी।
सिद्धू तपोभूमि यहां पर गढ़कालिका क्षेत्र में गुरु गोरखनाथ का समाधि स्थल मौजूद है तो दूसरी ओर जैन तीर्थंकर महावीर स्वामी ने भी उज्जैन में विहार किया था।

यहां पर पांच पवित्र बरगदों के पेड़ में से एक मौजूद है। उज्जैन में सिद्धवट के चार प्रमुख प्राचीन और पवित्र वट में से एक माना जाता है। अक्षयवट, गयावट और सिद्धवट का प्रमुखता से वर्णन मिलता है और उज्जैन में यह पवित्र वट मौजूद है।
चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य की नगरी उज्जैन को कहा जाता है। जिन्होंने संपूर्ण देश और कई अन्य क्षेत्रों पर राज किया। विक्रमआदित्य के बाद किसी राजा को यहां राज करने का अधिकार तभी प्राप्त होता है जब वह विक्रमादित्य की तरह पराक्रमी हो। यही कारण है कि राजा भोज को अपनी राजधानी भोपाल में बनानी पड़ी थी।
