
अर्धमत्स्येंद्रासन कैसे करें और क्या है इसके लाभ
योगी मत्स्येन्द्रनाथ के नाम पर इस आसान का नाम रखा गया है। अर्धमत्स्येंद्रासन मे ‘अर्ध’ का मतलब आधा, ‘मत्स्य’ का मतलब मछली होता है। इस आसन को वक्रसन भी कहा जाता है और ‘वक्रा’ का अर्थ है मुड़ा हुआ होता है। इस आसान को करने से हृदय संबंधी समस्याओं मे आराम मिलता है। यह महिलाओं को सुंदरता और दीर्घायु प्रदान करता है। यह आसन पाचन तंत्र के लिए काफ़ी अच्छा है। कब्ज को ठीक करने में यह काफ़ी मदद करता है।

अर्धमत्स्येंद्रासन करने के लिए अपने दाहिने पैर को मोड़े और अपने बायने पैर को नीचे खींचे। अपने बाएं पैर को दाहिने पैर के बाहर रखें और अपने बाएं पैर को अपने दाहिने हाथ से पकड़ें अपने कोहनी को अपने बाएं पैर के बाहर की तरफ रखते हुए अपने बाएं हाथ को अपनी पीठ के पीछे झुकाएं। जब तक आप कर सकते हैं तब तक इस आसन को करें और सांस सामान्य रूप से लेते हुए, इस स्थिति में बैठे रहे और फिर इस आसन को दूसरी ओर से भी दोहराए। ऐसा करने से आपको सुंदरता प्रदान होगी साथ ही साथ पाचन तंत्र और कब से बीमारी दूर हो जाएंगे और हृदय संबंधी समस्याओं से निजात मिलेगा और इस आसान को दिन मे 10 बार दोहराए।
