
Annapurna Jayanti 2022 : जानिये कब है अन्नपूर्णा जयंती , क्या है इस पर्व का महत्त्व
Annapurna Jayanti 2022 – माँ अन्नपूर्णा जिन्हे अन्न कि देवी के रूप में पूजा जाता है। माँ अन्नपूर्णा को देवी दुर्गा का ही एक स्वरुप बताया गया है। हर साल मार्गशीष महीने में पूर्णिमा पर अन्नपूर्णा जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से देवी दुर्गा के अन्नपूर्णा स्वरुप को पूर्ण रूप से समर्पित है। इस दिन देवी अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है।
Annapurna Jayanti 2022 : जानिये कब है अन्नपूर्णा जयंती , क्या है इस पर्व का महत्त्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार , इस दिन मां अन्नपूर्णा की पूजा करने से संकट के समय में भी कभी अन्न की कमी नहीं होती है। कहा जाता है कि देवी अन्नपूर्णा की ही वजह से धरती पर अन्न की पूर्ति होती है। यही वजह तो है जिसकी वजह से देवी अन्नपूर्णा का स्थान रसोई घर में माना जाता है। कहते है कि अन्नपूर्ण जयंती के दिन ही देवी दुर्गा ने पूरी सृष्टि का भरण पौषण करने के लिए देवी अन्नपूर्णा के रूप में धरती पर प्रकट हुई थी। माँ अन्नपूर्णा के लिए ये भी कहा जाता है कि जो भी माँ अन्नपूर्णा की साधना और अन्न का सम्मान करता है वह व्यक्ति अपने जीवन में कभी भी भूखा नहीं सोता है।
इसलिए आपको इस दिन भूलकर भी महिलाओं का या अन्न का अपमान नहीं करना चाहिए। आज हम आपको अपने लेख के माध्यम से अन्नपूर्णा जयंती के महत्त्व के बारे में बताने जा रहे है। इसी के साथ इस साल कब अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाएगी इस बारे में भी आपको पूर्ण जानकारी देने का प्रयास करेंगे।
इस दिन है अन्नपूर्णा जयंती
हमारे यहाँ किसी भी व्रत त्यौहार के बारे में जानने के लिए पंचांग को देखा जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार मार्गशीष महीने की पूर्णिमा तिथि 7 दिसंबर 2022 को सुबह 8 बजकर 1 मिनट से शुरू हो जाएगी। जो कि अगले दिन 8 दिसंबर 2022 को सुबह 9 बजकर 37 मिनट पर पूर्णिमा तिथि समाप्त हो जाएगी। वही आपको बता दे , मुख्य रूप से अन्नपूर्णा जयंती 8 दिसंबर को मनाई जाएगी।
इस तरह से करे अन्नपूर्ण जयंती पर पूजा –
आपको अन्नपूर्णा जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।
इसके बाद आपको पूरे घर और रसोई की एवं चूल्हे की अच्छे से साफ़ – सफाई कर आपको पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करके आपको अपने पूरे घर को शुद्ध कर लेना चाहिए।
फिर आपको अपने खाने के चूल्हे पर हल्दी ,कुमकुम , चावल पुष्प इत्यादि आपको अर्पित करना है। उसके आपको आपको धुप जलानी है।
इसी के साथ आपको माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ का ध्यान करना होगा। देवी दुर्गा ,देवी पार्वती का ही रूप माँ अन्नपूर्णा को माना गया है।
अंत में आपको विधि -विधान से माँ की पूजा करने के बाद माँ से प्रार्थना करनी है कि माँ हमारे घर में हमेशा अन्न के भंडारे भरे रहे। माँ अन्नपूर्णा आपके एवं आपके परिवार के सभी सदस्यों पर अपनी कृपा को बनाये रखे।
अन्नपूर्णा जयंती का महत्व
शास्त्रों में वर्णित कथा के अनुसार , जिस भी घर पर माँ अन्नपूर्णा का आशीर्वाद बना रहता है। उस घर पर कभी भी किसी भी तरह का अभाव नहीं रहता है। माता अन्नपूर्ण कि कृपा से अन्न के भंडारे भरे रहे। इसी वजह से अन्नपूर्णा जयंती के दिन माँ अन्नपूर्णा का आशीर्वाद पाने के लिए विधि -विधान से पूजा करनी चाहिए। आप सभी को इस दिन सुबह जल्दी उठकर माता अन्नपूर्णा कि पूजा अर्चना जरूर करे।