
Chhath Puja 2022 : जाने 4 दिन के महापर्व छठ का महत्त्व
Chhath Puja 2022 – आस्था का महापर्व छठ ,जिसका इंतज़ार हर बिहारी को पुरे साल रहता है। बिहार से जुड़े लोग इस पर्व की महत्ता को भली भांति समझते है। जहा एक तरफ पूरा देश उगते हुए सूर्य को जल अर्पित करता है तो वही छठ में डूबता हुए सूर्य को पहले अर्घ दिया जाता है। सदियों से ये पर्व इसी तरह महाया जाता आ रहा है और अब तो विदेशो में भी छठ की धूम देखने को मिलती है।
Chhath Puja 2022 : जाने 4 दिन के महापर्व छठ का महत्त्व
दिवाली के बाद छठ मनाया जाता है। इस साल छठ पर्व की शुरुआत नहाय खाय के साथ 28 अक्टूबर से हो रही है। इसके बाद 29 अक्टूबर को खरना फिर 30 अक्टूबर को संध्या अर्घ एवं 31 अक्टूबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ दिया जाएगा। उगते हुए सूर्य को अर्घ देने के साथ ही इस पर्व का समापन होता है। यह पर्व भगवान सूर्य देवता एवं छठी मैया की उपासना का पर्व है। वही ये एक मात्र ऐसा पर्व है जिसमे मूर्ति पूजा नहीं की जाती है। सनातन धर्म का सबसे कठिन व्रत छठ को माना जाता है।
नहाय खाय से होती है पर्व की शुरुआत :-
छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है। इस दिन व्रती महिलाएं एवं पुरुष घर की अच्छे से साफ़ सफाई कर एक समय का भोजन कर अपने मन को शुद्ध करते है। इस दिन घर में शुद्धता का पूरा ध्यान रखा जाता है। इसी के साथ इस दिन घर में लहसन प्याज का भी सेवन नहीं किया जाता। इस दिन व्रत करने वाले लोग लौकी की सब्जी , चने की दाल चावल एवं मूली का सेवन करते है।
खरना पर किया जाता है पुरे दिन का व्रत –
छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। इस दिन व्रत करने वाले लोग पुरे दिन निर्जला उपवास करते है। खरना के दिन शाम के समय में गुड़ की खीर का प्रसाद बनाया जाता है। पुरे दिन उपवास करने के बाद व्रती शाम के समय गुड़ की खीर से ही अपना उपवास खोलती है उसके बाद इस प्रसाद को सभी में वितरित कर दिया जाता है। इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद ही शुरू होता है 36 घंटे का निर्जला व्रत। इस दिन का पूरा प्रसाद चूल्हे पर बनाया जाता है।
तीसरा दिन डूबता हुए सूर्य को अर्घ देना –
छठ के तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ दिया जाता है। जिसे सांध्य अर्घ भी कहा जाता है। इसके लिए सभी लोग घाट पर पहुँचते है। सूर्यदेवता को अर्पित होने वाली सभी चीज़े लेकर सूप में रखकर घाट पर जाया जाता है। फिर डूबते हुए सूर्य को अर्घ दिया जाता है ।
चौथा दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ देना –
छठ पर्व के चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ दिया जाता है। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं और पुरुष छठी मईया और सूर्य देव से अपने संतान और पूरे परिवार की सुख-शांति की कामना करती है। इसके बाद व्रती घर आकर अपने देवी देवता की पूजा करती है। उसके बाद ही अपना उपवास खोलती है इसी के साथ छठ महापर्व का भी समापन होता है।