
Hawan mantra swaha : पूजा में हवन के दौरान “स्वाहा ” बोलने का रहस्य
Hawan mantra swaha – हिन्दू धर्म के जातको के लिए पूजा का बहुत ही अधिक महत्त्व बताया जाता है। कहते है कि अगर व्यक्ति सच्चे से मन से भगवान की आराधना करता है तो उसे मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। देवी – देवता को प्रसन्न करने के लिए व्यक्ति रोजाना पूजा -पाठ तो करता ही है। लेकिन इसी के साथ व्यक्ति समय समय पर व्यक्ति अपने घर में हवन , पूजा , कीर्तन आदि भी करवाता है। जब भी आप अपने घर या अन्य किसी के घर हवन में जाते होंगे। तब एक बात जरूर गौर की होगी ,हवन मे स्वाहा शब्द का प्रयोग किया जाता है। आपने घर की शुद्धिकरण के लिए लोग हवन आदि कराते है। जिसमे आस -पड़ोस के लोगो को बुलाया जाता है। हवन करते समय अगर आपने ध्यान दिया हो तो स्वाहा बोलै जाता है। लेकिन कभी आपने सोचा की स्वाहा ही क्यों बोला जाता है। इसके अलावा किसी और शब्द का प्रयोग क्यों नहीं किया जाता। तो आज हम आपको अपने लेख के माध्यम से हवन के समय “स्वाहा ” Hawan mantra swaha बोलने का रहस्य बताने जा रहे है।
Hawan mantra swaha : पूजा में हवन के दौरान “स्वाहा ” बोलने का रहस्य
मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि स्वाहा अग्नि देव की पत्नी है इस लिए हर मंत्र का जप करने के बाद स्वाहा कहा जाता है। आज हम आपको बताने वाले हैं कि आखिरकार स्वाहा शब्द का ही प्रयोग हवन में क्यों जरूरी है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक स्वाहा दक्ष प्रजापति की बेटी थीं। इनकी शादी अग्निदेव के साथ हुआ। अग्निदेव अपनी पत्नी स्वाहा के माध्यम से ही हविष्य ग्रहण करते हैं और उनके माध्यम से यही हविष्य आहन किए गए देवता को प्राप्त होता है। भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं स्वाहा को ये वरदान दिया था कि सिर्फ उसी के माध्यम से देवमा हविष्य को ग्रहण कर पाएंगे। यज्ञ प्रयोजन तभी पूरा होता है और आहन किए गए देवता को उनका पसंदीदा भोग पहुंचा दिया जाए। इसलिए हवन के समय “स्वाहा” Hawan mantra swaha बोला जाता है ।
Hawan mantra swaha हवन में “स्वाहा” बोलने का अर्थ –
पौराणिक काल से ही यज्ञ में आहुति देते समय “स्वाहा” शब्द का प्रयोग किया जाता आ रहा है। आपको बता दे , “स्वाहा” का अर्थ सही रीति से पहुंचना होता है। जब भी हवन का आयोजन किया जाता है तो हवन में “स्वाहा” Hawan mantra swaha शब्द का उच्चारण करते हुए हवन कुंड में सामग्री अर्पित की जाती है तो वह सामग्री बिना किसी विग्न के देवी देवताओं तक पहुँच जाता है। मान्यता कहती है कि हवन हो या फिर यज्ञ हो वह तब तक सफल नहीं माना जाता जब तक देवी देवता हवन सामग्री को ग्रहण न करे। जब आपके द्वारा अर्पित की गई समाग्री देवी देवता अपनाते है तभी आपका हवन या फिर यज्ञ सफल माना जाता है।
Hawan mantra swaha हवन में कैसे दे आहुति –
जब भी आप हवन के लिए बैठ तो स्वच्छ स्थान पर ही बैठे उसके बाद हवन सामग्री को अपने हाथो के जरिये अग्नि कुंड में डाले। लेकिन इस बात का ध्यान रखे कि हवन सामग्री को दाएं हाथ की मध्यमा यानि बीच वाली ऊँगली और अनामिका उँगलियों में ले और अग्नि में समाग्री को डालते समय अपने अंगूठे का सहारा लेते हुए मृग मुद्रा के मुख की तरह बनाये। उसके बाद ही सामग्री को हवन कुंड में डाले। इसी के साथ इस बात का भी ध्यान रखे कि हमेशा झुककर ही सामग्री को हवन कुंड में छोड़े। जैसा कि हमने आपको शुरू में बताया कि ‘स्वाहा’ अग्निदेव की पत्नी है। इसलिए हर आहुति के बाद ‘स्वाहा’ शब्द का उच्चारण जरूर करना चाहिए।
इसके अलावा आपको ये भी बताते चले कि, श्रीमद्भागवत गीता तथा शिव पुराण में भी ‘स्वाहा’ शब्द का उल्लेख कई बार किया गया है। किसी भी मंत्र का जब आप पाठ करते है उसके अंत में अगर आप ‘स्वाहा’ शब्द का उच्चारण करते हुए हवन सामग्री को अग्निकुंड में डालते है तो आपका हवन सफल माना जाता है।