
Hindu Rituals And Their Scientific Reasons : क्या महिलाओं को मंदिर में खुले बाल करके जाना चाहिए ?
Hindu Rituals And Their Scientific Reasons – हिन्दू धर्म में भगवान की पूजा बड़ी ही श्रद्धा के साथ की जाती है। भगवान की पूजा करने के लिए अक्सर लोग मंदिर जाना पसंद करते है। मान्यता ये भी कहती है कि मंदिर जाने से व्यक्ति को आंतरिक रूप से भी शांति प्राप्त होती है। वही आपको ये भी बता दे कि हिन्दू धर्म में मंदिर जाने को लेकर कुछ अहम नियम भी बनाये गए है। जैसे कि महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान मंदिर जाने की मनाही होती है।
Hindu Rituals And Their Scientific Reasons : क्या महिलाओं को मंदिर में खुले बाल करके जाना चाहिए ?
ठीक इसी तरह ये भी कहा जाता है कि महिलाओं को खुले बाल लेकर मंदिर में प्रवेश नहीं करना चाहिए। जी हाँ महिलाओं को इस बात का हमेशा ही ध्यान रखना चाहिए कि मंदिर में खुले बाल लेकर प्रवेश न करे। लेकिन इसके पीछे की वजह भी आपको जरूर जान लेनी चाहिए। आज हम आपको अपने लेख के माध्यम से इसी बारे में बताने जा रहे है।
क्यों नहीं जाना चाहिए खुले बाल करके मंदिर :-
हिन्दू धर्म ग्रंथो की माने तो महिलाओं को खुले बाल में ना तो मंदिर जाना चाहिए और ना ही भगवान की पूजा पाठ करना चाहिए। इसकी वजह ये है कि मंदिर जाते समय या भगवान की पूजा के दौरान आपका मन शांत रहना चाहिए। इस दौरान आपके मन में कोई बुरे ख्याल नहीं आना चाहिए। आपका मन नकारात्मक भावनाओं से मुक्त होना चाहिए। जैसे हम पूजा के पहले स्नान कर शरीर साफ करते हैं, साफ कपड़े पहनते हैं ठीक वैसे ही हमारा मन भी साफ होना चाहिए।
बाल खुले करके मंदिर जाने से आता है दुर्भाग्य :-
आपको बता दे , खुले बाल नकारात्मकता का प्रतीक माने जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र की माने तो खुले बालों की वजह से शरीर में नकारात्मक ऊर्जा जल्दी प्रवेश करती है। ऐसे में जब आप खुले बालों को लेकर भगवान की पूजा करते हैं तो वह स्वीकार नहीं होती है। उस पूजा का उचित फल हमे नही मिलता है। उल्टा दुर्भाग्य हमारे पीछे पड़ जाता है।
माना जाता है ईश्वर का अपमान :-
ये भी है कि खुले बाल होने पर महिलाओं का ध्यान सिर्फ अपने बालों पर ही केंद्रित होता है। ऐसे में वह भगवान की पूजा पाठ में मन नहीं लगा पाती है। इसलिए महिलाओं को मंदिर में हमेशा अपने बाल बांधकर ही प्रवेश करना चाहिए। ऐसा ना करना ईश्वर का अपमान भी समझा जाता है। एक अन्य मान्यता के अनुसार खुले बाल बुरी शक्तियों को भी आकर्षित करते हैं। इसलिए मंदिर के अलावा अमावस्या और पूर्णिमा के दिन भी खुले बाल लेकर कहीं नहीं जाना चाहिए।
खुले बाल और नकारात्मकता है सीधा सम्बन्ध :-
खुले बाल किस तरह से नकारात्मकता का प्रतीक होते हैं इसका उदाहरण महाभारत और रामायण में भी देखने को मिलता है। रामायण में जब महाराजा दशरथ ने प्रभु श्री राम को राज पाट सौंपने का निर्णय लिया तब महारानी कैकेयी नाराज होकर कोप भवन में बाल खोलकर बैठ गई थी। फिर उनके दिमाग में कई नकारात्मक चीजें आई और फिर आगे जो कुछ भी हुआ उसका परिणाम आज भी आप सभी के आगे है।
महाभारत का वह प्रसंग तो आप सभी को याद होगा जब दुष्ट दुर्सासन ने द्रोपदी को खुले बालों से ही घसीटकर उसे शर्मिंदा किया था। इस तरह से खुले बाल क्रोध और आक्रोश को दर्शाते है। इसलिए भी कहा जाता है कि खुले बाल करके मंदिर में प्रवेश नहीं करना चाहिए।