
Kumbhkaran wife : कुम्भकर्ण की कितनी पत्नियां थी , जाने पूरा सच
Kumbhkaran wife – रामायण के सबसे विचित्र पात्रों में से एक है कुम्भकरण , जब भी कुम्भकरण का नाम सुनते ही एक अलग तरह की छवि दिमाग में उत्पन्न होने लगती है एक ऐसा मानव जिसका शरीर अतिबलशाली था। जो 6 महीने तक केवल सोता ही रहता है ,जिसे खाना बहुत पसंद था। ये कुछ ऐसी गिनी चुनी बाते है और लोग केवल इन्ही बातों के लिए कुम्भकरण को जानते है। लेकिन क्या आपने कभी कुम्भकर्ण की पत्नी के बारे में सुना है ? शायद आपका जवाब होगा नहीं तो आज हम आपको अपने लेख के माध्यम से कुम्भकर्ण की पत्नियों के बारे में बताने जा रहे है। कि कौन और कितनी थी कुम्भकर्ण की पत्नियां –
Kumbhkaran wife : कुम्भकर्ण की कितनी पत्नियां थी , जाने पूरा सच
कुंभकरण लंका नरेश रावण के छोटे भाई और विभीषण और शूर्पनखा के बड़े भाई थे। इनकी माता कैकसी राक्षसकुल कीथी और पिता विशर्वा ब्राहमण कुल के थे |कुंभकर्ण में माता- पिता दोनों के गुण विद्यमान थे। इसी कारण कुम्भकर्ण के राक्षस होने के बावजूद भी उन्होंने कभी अपनी जिंदगी में कोई अधर्म का कार्य नहीं किया था।
कहते है कि कुम्भकरण ने अपने जीवन में 3 विवाह किये -व्रज्रज्वाला,करकटी ,तडित्माला ये उनकी 3 पत्नियों के नाम थे।
कुम्भकरण की पहली पत्नी
कुम्भकरण की पहली पत्नी जिनका नाम वज्रज्वाला था। वज्रज्वाला के लिए कहा जाता है कि यह राजा बलि की पुत्री थी। वही राजा बलि जिनसे स्वयं भगवान विष्णु ने तीन पग मांगे थे। राजा बलि जो अपनी दानवीरता के लिए जाने जाते थे वह भगवान विष्णु के वामन अवतार को मना नहीं कर पाए। बता दे आपको – वज्रज्वाला से कुम्भकरण को 2 पुत्र हुए जिनके नाम इस प्रकार से है , कुंभ और निकुंभ। कुम्भ ,निकुंभ के बारे में कहा जाता है कि वो भी काफी शक्तिशाली थे। उन्हें कुबेर ने निगरानी का खास दायित्व सौंप रखा था। ये दोनों ही भगवान राम और वानर सेना के खिलाफ युद्ध में लड़े थे और वीरगति को प्राप्त हुए थे। इसके अलावा आपको ये भी बता दे -वज्रज्वला अपने पति कुंभकर्ण के साथ रावण की प्रयोगशाला में तरह-तरह के अस्त्र-शस्त्र और यंत्र बनाती थीं।
कुम्भकरण की दूसरी पत्नी –
कुंभकर्ण की दूसरी पत्नी का नाम कर्कटी था। कर्कटी एक राक्षसी थीं और सैयाद्री की राजकुमारी थीं। जिस पर मुग्ध होकर कुंभकर्ण ने उनसे शादी कर ली थी। कर्कटी से कुम्भकरण को भीमासुर नामक पुत्र की प्राप्ति हुई। भीमासुर के बारे में कहा जाता है कि कुंभकर्ण के मरने के बाद उनकी पत्नी कर्कटी अपने पुत्र को लेकर उन्हें लेकर चली गई, ताकि उन्हें देवताओं से दूर रखा जा सके, बाद में बड़ा होने पर जब उन्हें अपने पिता के मौत के बारे में मालूम हुआ, तो उन्होंने देवताओं से बदला लेने का फैसला किया। हालांकि बाद में भगवान शिव से उसका मुकाबला हुआ और शिव ने उसे भस्म कर दिया। वो जहां भस्म हुआ, वही भगवान शिव के प्रसिद्द ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई।
कुम्भकरण की तीसरी पत्नी –
इन दोनों के अलावा कुम्भकरण ने एक तीसरा विवाह भी किया कुंभपुर के महोदर नामक राजा की कन्या तडित्माला से।
ये तो थी कुम्भकरण की 3 पत्नियां। लेकिन रामायण में कुम्भकरण के एक और पुत्र का वर्णन मिलता है जिसका नाम मूलकासुर था। मूलकासुर के लिए कहा जाता है कि इनका वध माता सीता के हाथों से हुआ।