
भगवान विष्णु को क्यों लेना पड़ा मत्स्य अवतार
Lord Vishnu - भगवान विष्णु को जग का पालनहार माना जाता है। कहते है कि जब जब धरती पर पाप बढ़ा है तब तब भगवान विष्णु ने किसी न किसी रूप में अवतार लेकर जग का कल्याण किया है। भगवान विष्णु के कृष्ण अवरात , राम अवतार , वामन अवतार के बारे में तो आप सभी ने जरूर ही सुना होगा लेकिन क्या आप इस बारे में जानते है कि भगवान विष्णु इन अवतारों से पहले भी कई अवतार ले चुके थे। आज हम आपको भगवान विष्णु के प्रथम अवतार मत्स्य अवतार के बारे में बता ने जा रहे है।
भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार –
यह कथा उस समय की है जब प्रकृति पर अधर्म, अनीति और अत्याचार का साम्राज्य बढ़ता जा रहा था। तथा पृथ्वी पर भयंकर प्रलय आने वाला था। पृथ्वी पर प्रलय आने से पहले भगवान ब्रह्मा जी ने वेदों का सृजन किया था। एक बार ब्रह्मा जी के असावधानी के कारण एक बहुत बड़े दैत्य हयग्रीव ने चारो वेदों को चुरा लिया और उसे समुन्द्र की अथाह गहराइयों में छुपा दिया जिससे चारो ओर अंधकार छा गया और ज्ञान लुप्त हो गया । तब भगवान विष्णु ने धर्म की रक्षा के लिए मत्स्य अवतार लेके हयग्रीव राक्षक का वध कर के चारो वेद निकाल ब्रह्मा जी को दिए।
पौराणिक कथा के अनुसार , एक पुण्यात्मा राजा तप कर रहा था उनका नाम सत्यव्रत था वो बड़े उदार हृदय वाले थे। प्रभात का समय था सूर्य उदय हो चुका था कृतमाला नदी में स्नान कर जैसे ही तर्पण के लिए अजूल में जल लिए उसी जल के साथ एक मछली उनके हाथो में गई और रहा से विनती करने लगी बोली राजन मुझे इस जल में पुनः मत छोड़िए मै एक छोटी मछली हूँ इस नदी के बड़े जीव मुझे मार डालेंगे ।
राजा को दया आ गई और उसे अपने साथ महल ले आए और एक छोटे से पात्र में पानी के साथ रख दिए। फिर एक विचित्र घटना घटी अगले दिन वो मछली बहुत बड़ी होने लगी और राजन से आग्रह किया कि मुझे इस कमंडल में मुझे तकलीफ़ हो रही है मुझे किसी तालाब में रखे राजा सत्यव्रत को आश्चर्य हुआ कि एक मछली इतना जल्दी कैसे बड़ी हो गई राजा ने तुरंत उस मछली को तालाब में रखवा दिया तालाब में जाते ही मछली और तेजी से बढ़ने लगी उसने राजा से फिर आग्रह किया कि मुझे सागर में डाल दीजिए राजा ने उस मछली को लेकर सागर के तट पर पहुंचे और सागर में डाल दिए वो मछली फिर बढ़ने लगी उसको अब सागर भी छोटा लगाने लगा मछली ने फिर राजा को बोली कि सागर भी छोटा है मेरे लिए।
राजा को बहुत आश्चर्य हुआ और उन्होंने हाथ जोड़ के पूछा आप कोई साधारण जीव नहीं कृपया आप बताए कौन है,कहीं आप साक्षात भगवान विष्णु तो नहीं है। भगवान विष्णु मुस्कुराए और बोले राजन् मै विष्णु ही हू एक राक्षस हयग्रीव ने चारो वेदों को चुरा लिया है मै उसे मारने के लिए ही मत्स्य अवतार लिया हू।
आज से ठीक सातवे दिन प्रलय होगी जिससे समुन्द्र उमड़ उठेगा और भयानक वृष्टी होगी जिससे धरती डूब जाएगी उस समय मै आप को राजन एक छोटी सी नव दूंगा जिसपे आप सारे अनाज,औषधियों,ऋषियों और सप्तऋषियों को रख कर इस भाव सागर से मै पार करा दूंगा।
उस प्रलय में जब कुछ नहीं दिखाई देगा तब मै मत्स्य रूपी आप को भाव सागर से पार करा दूंगा ।
This story is about the time when the kingdom of unrighteousness, immorality and tyranny was increasing on nature. And a terrible cataclysm was about to come on the earth.