
Mallikarjuna Jyotirlinga : मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग से जुड़ा हैरान कर देने वाला रहस्य
Mallikarjuna Jyotirlinga – मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, देवों के देव महादेव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग । आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर श्रीमल्लिकार्जुन मंदिर स्थित है । इसे दक्षिण का कैलाश कहते है । अनेक धर्मग्रन्थों में इस स्थान की महिमा बताई गई है ।
Mallikarjuna Jyotirlinga : मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग से जुड़ा हैरान कर देने वाला रहस्य
महाभारत के अनुसार श्रीशैल पर्वत पर भगवान शिव का पूजन करने से अश्वमेध यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है । कुछ ग्रन्थों में तो यहां तक लिखा है कि श्रीशैल के शिखर के दर्शन मात्र करने से भक्तों के सभी प्रकार के कष्ट दूर भाग जाते है । उन्हें अनन्त सुखों की प्राप्ति होती है और आवागमन के चक्कर से मुक्त हो जाते है ।
इस ज्योतिर्लिंग से जुडी सबसे खास बात है कि, भगवान शिव का ये ज्योतिर्लिंग शिव जी के साथ साथ माता पार्वती को भी समर्पित है । नमस्कार स्वागत है आप सभी का निष्ठा ध्वनि की इस ख़ास पेशकश में जहां आज हम आपको भोलेनाथ के दूसरे ज्योतिर्लिंग के बारे मे, मल्लिकार्जुन मंदिर का नाम ‘ मल्लिका ’ माता पार्वती और ‘ अर्जुन ’ भगवान शंकर के नाम पर पड़ा है ।
यहां भगवान शिव को मल्लिकार्जुन के रूप में पूजा जाता है । मान्यता है कि भगवान शिव के मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से भक्तों को अवश्मेध यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है । भगवान के शिव के यहां ज्योतिर्लिंग होने के संबंध में कथा है कि नाराज कार्तिकेय को मनाने के लिए भगवान यहां आए थे । क्रौंच पर्वत पर वह ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे ।
आइये जानते है इस ज्योतिर्लिंग के पीछे की कथा के बारे में-
एक बार की बात है भगवान शिव और माता पार्वती अपने पुत्रो के विवाह के लिए आपस में झगड़ रहे थे । कार्तिकेय जी का मानना था कि वह अपने भाई गणेश से बड़े है । जबकि दूसरी तरफ गणेश जी भी अपनी ही जिद्द पद अड़े थे कि वह बड़े है । यह झगड़ा धीरे- धीरे इतना बढ़ गया कि माता पार्वती और शिव तक पहुंच गया । शिव- पार्वती ने कार्तिकेय और गणेश से कहा कि जो भी पृथ्वी की परिक्रमा लगाकर पहले आएगा, हम उसका विवाह पहले कर देंगे ।
इस शर्त को सुनकर कार्तिकेय अपने सवारी मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा करने निकल गये । परंतु चूहे की सवारी वाले गणेश के लिए यह मुश्किल काम था । भगवान गणेश बुद्धि के सागर थे । उन्होंने एक उपाय सोचा और माता पार्वती तथा पिता शिव की सात बार परिक्रमा की । इस तरह उन्हें पृथ्वी की परिक्रमा से प्राप्त होने वाले फल के अधिकारी बन गए ।
गणेश की इस समझदारी से शिव और पार्वती बहुत खुश हुए । कार्तिकेय के आने से पहले गणेश की शादी विश्वरूप प्रजापति की पुत्रियों सिद्धि और रिद्धि के साथ करा दी गई । जिससे गणेश के दो पुत्र शुभ और लाभ हुए । जब कार्तिकेय पृथ्वी की परिक्रमा करके आए, ये पूरा वर्णन देख कार्तिकेय जी नाराज़ हो गए।
जब कार्तिकेय जी नाराज हो गए तो वह वह से क्रोंच पर्वत पर आ गए। ये देख सभी देवतागण कार्तिकेय जी से लौटने का आग्रह करने लगे लेकिन वही नहीं माने जब कार्तिकेय के लौटकर न आने पर देवी पार्वती और भगवान शिव को अपने पुत्र कार्तिकेय का वियोग होने लगा और वह दोनों काफी दुखी हो उठे । जिसके बाद एक बार जब शिव और माता पार्वती से नहीं रहा गया तो दोनों स्वयं क्रोंच पर्वत पर आ गए । लेकिन अपने माता पिता को अपने पास आता देख कार्तिकेय वह से दूर चले गए ।
अंत में अपने पुत्र के दर्शन की लालसा से भगवान शिव ज्योति का रूप धारण करके उसी पर्वत पर विराजमान हो गए कहा जाता है उसी दिन से यह शिवलिंग मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाने लगा । मान्यता है कि भगवान शिव और पार्वती प्रत्येक पर्व पर कार्तिकेय को देखने के लिए यहां आते है । ऐसी भी प्रबल मान्यता है कि भगवान शिव स्वयं अमावस्या के दिन और माता पार्वती पूर्णिमा के दिन यहां आती है । जिस से इस ज्योतिर्लिंग की महिमा और अधिक बढ़ जाती है । तो ये था भगवान शिव का मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग जिसकी महिमा अपरम्पार है ।