
माँ सरस्वती के स्वरुप से इन बातों को जरूर सीखे
इस साल 5 फरवरी को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन माता सरस्वती की विशेष रूप से पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार इसी दिन माता सृष्टि के रचियता ब्रह्मा जी के मुख से प्रकट हुई थीं। कमल पुष्प पर बैठी हुई माँ सरस्वती के एक हाथ में पुस्तक , एक में वीणा , एक में माला और एक हाथ में आशिर्वर मुद्रा में है। माता सरस्वती का वाहन हंस है। इस दिन भक्त व्रत पूजा अनुष्ठान भी भी किये जाते है। क्यों कि वसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा की जाती है इसलिए आज हम आपको अपने लेख के माध्यम से माँ सरस्वती के स्वरुप के बारे में बताने जा रहे है।
माता सरस्वती का कमल पर विराजमान होने से क्या सिख मिलती है –
जैसा कि हम सबहि जानते है कमल कीचड़ में खिलता है, या फिर पानी में लेकिन वह स्वयं इतना रहता है कि उसे कीचड़ स्पर्श भी नहीं कर पाटा है और न ही पानी। इस से जीवन में हमे ये सिख मिलती है कि भले ही वातावरण कैसे भी हो , उसका प्रभाव हमारे जीवन में नहीं आना आना चाहिए हमे केवल अपने व्यक्तित्व को निखारने का काम करना चाहिए।
माता सरस्वती के हाथ में पुस्तक होने से क्या सिख मिलती है –
माता सरस्वती के हाथो में पुस्तक होने की वजह से उन्हें ज्ञान की देवी भी कहा जाता है। लेकिन वास्तव में ये पुस्तक लोगों को शिक्षा के लिए प्रेरित करने के लिए है। शिक्षा और ज्ञान से ही आपका उत्थान संभव है। इसलिए अगर आप चाहते है कि देवी माँ की कृपा आपके ऊपर बनी रहे तो इसके लिए आपको अधिक से अधिक ज्ञान अर्जित करना चाहिए।
माता के हाथो में वीणा –
माता सरस्वती के हाथो में वीणा का होना इस से हमे ये सन्देश मिलता है कि व्यक्ति को अपने मन को आनंदित रखना चाहिए, इतना आनंदित कि आपसे मिलकर दूसरे व्यक्ति का मन भी आनंद से भर जाए. वीणा का तात्पर्य खुश रहने और खुशी बांटने से है।
माता का वाहन हंस
माता के हंस में दूध और पानी को अलग कर देने की क्षमता होती है। इससे हमें प्रेरणा मिलती है कि हंस की तरह हमें भी जागरुक रहना चाहिए और विवेकपूर्ण जीवन जीना चाहिए, ताकि सही और गलत के बीच के भेद को समझ सकें।
This year the festival of Basant Panchami will be celebrated on 5th February. Mother Saraswati is specially worshiped on this day.