
Pauranik Katha : आखिर क्यों माता लक्ष्मी विष्णु भगवान के पैर दबाती है ?
Pauranik Katha – हमारे हिन्दू धर्म में आज भी कई ऐसे रहस्य छिपे हुए है। जिससे हम लोग पूरी तरह से परिचित नहीं है। आप सभी अपने घरो में माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु कि पूजा तो जरूर ही करते होंगे। माता लक्ष्मी के कई स्वरुप आपने देखने देखे होंगे। माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु का अपना अलग अलग महत्त्व है। भगवान विष्णु जिन्हे इस जग का पालनहार कहा जाता है तो वही माता लक्ष्मी जिन्हे धन की देवी माता लक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है। लेकिन जब इन दोनों को साथ में पूजा जाए तब इसका महत्त्व अलग होता है।
Pauranik Katha : आखिर क्यों माता लक्ष्मी विष्णु भगवान के पैर दबाती है ?
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का स्वरुप जब आप देखेंगे तो आप देखते होंगे माता लक्ष्मी बहुत सी तस्वीरों में आपको भगवान विष्णु के पैर दबाते हुए दिखाई देती है। लेकिन क्या आपने सोचा कि ऐसा क्यों है। आखिर क्यों माता लक्ष्मी विष्णु जी के पैर दबाते हुए नज़र आती है। देवी लक्ष्मी जो कि स्वयं धन की देवी वह अपने आप में ही परिपूर्ण। अगर आज की विचारधारा से इसे जोड़ के देखा जाए तो कोई भी महिला जल्दी से अपने पति के पैर को दबाना नहीं चाहती है। आज की महिलाओं को ऐसा लगता है कि अगर वह अपने पति के पैर दबाती है तो वह छोटी हो जाएंगी या वह इसे अपने आत्मसम्मान पर ले लेती है। ऐसी धारणा सभी औरतों की नहीं है लेकिन समाज में कुछ ऐसी औरतें है जो ऐसा सोचती है। आइये अब आपको बताते है कि क्यों माता लक्ष्मी विष्णु जी के पैर दबाती है।
शास्त्रों में वर्णित पौराणिक कथा के अनुसार, माता लक्ष्मी की एक बड़ी बहन अलक्ष्मी थी। अलक्ष्मी अपनी बहन लक्ष्मी से बेहद ईर्ष्या रखती हैं। एक तरफ जहा माता लक्ष्मी रूपवती है वही उनकी बहन अलक्ष्मी बिलकुल आकर्षक नहीं है। अलक्ष्मी आँखे भड़कीली ,बाल फैले हुए एवं बड़े -बड़े दांत है। अलक्ष्मी हमेशा ऐसा करती कि जहाँ भी उनकी बहन लक्ष्मी और उनके पति विष्णु जी जाते है वह भी उनके साथ उस स्थान पर पहुँच जाती थी।
अपनी बहन का ऐसा करना माता लक्ष्मी को बिलकुल पसंद नहीं आ रहा था और फिर उन्होंने अपनी बहन अलक्ष्मी से कहा कि आखिर क्यों तुम मुझे और मेरे पति को अकेला नहीं छोड़ रही हो। इस पर देवी लक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी ने कहा कि मेरी आराधना कोई भी नहीं करता है , मेरा तो कोई पति भी नहीं है। इसलिए जिस भी स्थान पर तुम जाओगी मैं वहा तुम्हारे साथ रहूंगी।
अपनी बहन के मुख से ये बात सुनकर देवी लक्ष्मी काफी क्रोधित हो उठी और क्रोध में आकर माता लक्ष्मी बहन अलक्ष्मी से कहती है कि और उन्हें श्राप देती है कि मृत्यु के देवता तुम्हारे पति हैं और जहां भी गंदगी, ईर्ष्या, लालच, आलस, रोष होगा, तुम वहीं रहोगी। इस प्रकार भगवान विष्णु और अपने पति भगवान विष्णु के चरणों में माता लक्ष्मी उनके चरणों की गंदगी को दूर करती है ताकि उनकी बहन अलक्ष्मी उनके पति विष्णु जी के पास न आ सके। इस तरह माता लक्ष्मी पराई स्त्री से अपने पति को दूर रखने की हर संभव कोशिश करती है।
जब आपके ऊपर सौभाग्य की वर्षा होती है, तब दुर्भाग्य वहीं पास में खड़ा अपने लिए मौका तलाशता है। अलक्ष्मी भी कुछ इसी तरह घर के बाहर बैठकर लक्ष्मी के जाने का इंतजार करती हैं।
जहां भी गंदगी मौजूद होती है, वहां लालच, ईर्ष्या, पति-पत्नी के झगड़े, अश्लीलता, क्लेश और कलह का वातावरण बन जाता है। यह निशानी है कि घर में अलक्ष्मी का प्रवेश हो चुका है। अलक्ष्मी को दूर रखने और लक्ष्मी को आमंत्रित करने के लिए हिन्दू धर्म से जुड़े प्रत्येक घर में सफाई के साथ-साथ नित्य पूजा-पाठ किया जाता है ताकि घर के लोगों को नकारात्मक ऊर्जा से बचाया जा सके।