
Pitru Paksha 2022 : जाने कब से शुरू हो रहा है पितृपक्ष , क्या है इसका महत्त्व
Pitru Paksha 2022 – भारत देश में प्रत्येक तीज , पर्व , व्रत , त्यौहार को महत्ता दी जाती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार , हर महीने ही अनेको अनेक त्यौहार होते है। इसी तरह हिंदी कैलेंडर के अनुसार भादो मास की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष का आरम्भ होता है जिसका समापन अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को होता है। इस प्रकार इस साल 10 सितम्बर शनिवार के दिन पितृपक्ष की शुरुआत होगी और 25 सितम्बर रविवार को पितृपक्ष का समापन होगा।
Pitru Paksha 2022 : जाने कब से शुरू हो रहा है पितृपक्ष , क्या है इसका महत्त्व
आपको बता दे शास्त्रों में मिली जानकारी के अनुसार मनुष्ट को देवी -देवताओं की पूजा अर्चना करने से पहले अपने पितरो अपने पूर्वजो की पूजा करनी चाहिए। क्यों कि पितरो की पूजा करने से न केवल पितृ बल्कि देवी – देवता भी प्रसन्न होते है। यही वजह है कि हमारे भारतीय समाज में बड़ो का सम्मान एवं उनकी मृत्यु के पश्चात् उनकी पूजा कि जाती है। ये प्रसाद श्राद्ध के रूप में होते हैं जो पितृपक्ष में पड़ने वाली मृत्यु तिथि को किया जाता है और अगर आपको तिथि ज्ञात नहीं है तो आप आश्विन मास की अमावस्या को पूजा कर सकते है जिसे कि सर्व प्रभु अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। मुख्य रूप से श्राद्ध के दिन तर्पण कर हम अपने पूर्वजो को याद करते है इसी के साथ ब्राह्मणो और जरूरतमंद लोगो को इस दिन दक्षिणा एवं भोजन भी करवाते है। आइये अब आपको पितृ पक्ष का महत्व बताते है।
क्या है पितृपक्ष का महत्त्व –
हमारे हिन्दू धर्म के अनुसार ,पूर्वजों की तीन पीढ़ियों की आत्माएं पितृलोक में निवास करती है। जो कि स्वर्ग और पृथ्वी के बीच का स्थान माना गया है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार यह स्थान मृत्यु के देवता यमराज द्वारा शासित किया जाता है। जो एक मृतक की आत्मा को पृथ्वी लोक से पितृलोक तक लेके जाता है। इसी प्रकार जब अगली पीढ़ी का व्यक्ति मर जाता है, तो पहली पीढ़ी स्वर्ग में जाती है । इसी के साथ भगवान के साथ फिर से मिल जाती है, इसलिए श्राद्ध का प्रसाद नहीं दिया जाता है। इस प्रकार पितृलोक में केवल तीन पीढ़ियों को श्राद्ध संस्कार दिया जाता है, जिसमें यम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
इतना ही नहीं हिन्दू ग्रंथो के अनुसार। पितृ पक्ष की शुरुआत में , सूर्य जो है वह कन्या राशि में प्रवेश करता है।