
Sawan Special Story : भगवान शिव के गले में क्यों है नाग ?
Sawan Special Story – सावन का महीना हो और भला शिव जी की चर्चा न हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता है। सावन के महीने में शिव जी अपने भक्तो पर असीम कृपा करते है। भक्त भी सावन के महीने में हर प्रयास करते है कि वह अपने शिव जी को प्रसन्न कर सके। भगवान शिव को देखा जाए तो उनका पूरा शरीर ही अनूठा है, शिव जी की जटाओं में गंगा का वास ,शिव जी के माथे पर चंद्र ,हाथों में डंबरू और गले में नाग ।
Sawan Special Story : भगवान शिव के गले में क्यों है नाग ?
भगवान शिव से जुडी हर चीज़ के पीछे कोई न कोई कारण छिपा हुआ है। इसी क्रम में आज हम आपको अपने लेख के माध्यम से ये बताने जा रहे है कि शिव जी ने अपने गले में नाग क्यों धारण किया हुआ है।
आपको बता दे -हमारे हिन्दू धर्म ग्रंथो में 12 देव नागों का उल्लेख है और प्रत्येक महीने इन 12 नागों में से एक नाग की पूजा की जाती है। इन नाग देवों में से ही एक वासुकी नाग भगवान शिव के गले में लिपटे हुए हैं। वासुकी नाग शिव जी के परम भक्तों में से हैं। शिव का नागों से अटूट संबंध है, इसीलिए शिव भक्ती के पवित्र महीने सावन का एक दिन नागों की पूजा के लिए समर्पित है। नाग पंचमी के दिन नाग पूजा करने से शिव जी बहुत प्रसन्न होते हैं। इस दिन शिव जी की भी पूजा करनी चाहिए। इससे नाग पंचमी की पूजा का फल कई गुना तक बढ़कर मिलता है।
धर्म-पुराणों के मुताबिक जब समुद्र मंथन हुआ तो भगवान विष्णु समुद्र के बीचों बीच क्च्छप बनकर स्थिर खड़े हुए और फिर उनके ऊपर मदरांचल पर्वत को रखा गया। वहीं वासुकी नाग को रस्सी के रूप में मंथन में उपयोग किया गया। वासुकी नाग को एक ओर से देवताओं ने थामा और दूसरी ओर से असुरों ने। समुद्र मंथन में कई चीजें निकलीं और इसे देवताओं और असुरों के बीच बांटा गया। इसी दौरान इसमें से जो भयंकर विष निकला, उससे धरती को बचाने के लिए शिव ने ग्रहण किया। मंथन की इस प्रक्रिया में वासुकी नाग लहु-लुहान हो गए थे। वे शिव जी के परम भक्त थे, शिव ने उनकी भक्ति देखकर अपने गणों में शामिल किया और उन्हें अपने गले में स्थान दिया। इसके अलावा यह इस बात का प्रतीक भी है भगवान ने संसार की भलाई के लिए खुद जहर को ग्रहण कर लिया। यह इस बात का भी संकेत है कि यदि बुरे लोग भी अच्छे काम करें तो भगवान उन्हें कभी न कभी स्वीकार कर लेते हैं।
तो ये थी पूरी वजह से जिस वजह से भगवान शिव ने वासुकि नाग को अपने गले में धारण किया।