
Sawan Special : शिव मंदिर के बाहर क्यों है नन्दी विराजमान ?
Sawan Special – सावन का महीना चल रहा है ऐसे में शिव जी के भक्त बड़ी ही श्रद्धा भाव से भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हुए नज़र आ रहे है। वैसे तो भक्त हमेशा ही शिव मंदिरों में जाना पसंद करते है लेकिन सावन का महीना भोलेनाथ के भक्तों के लिए बहुत ही खास होता है।
Sawan Special : शिव मंदिर के बाहर क्यों है नन्दी विराजमान ?
हिन्दू धर्म में भगवान शिव को जहाँ देवो के देव महादेव माना जाता है, तो बही उनके गण भी पूज्यनीय है। शिव की महिमा अपरम्पार है। शिव की शरण में जो आता है, उसके सारे दुख दर्द दूर हो जाते है। भक्त जब भी भगवान के दर्शन करने देवालय जाते है, तो मंदिर के गर्भ गृह के बाहर ही नंदी महराज की मूर्ति विराजित होती है।
ऐसी मान्यता है कि नंदी शिव शंकर के वाहन है और उनके परिवार के अभिन्न अंग है। महादेव दर्शन करते समय नंदी से जुड़ी यह जिज्ञासा जरूर मन मे उत्पन्न होती है कि नंदी शिव शंकर के परिवार का अभिन्न अंग होने बाद भी उनकी मूर्ति की स्थापना मंदिर के बाहर क्यों की जाती है।
महाभारत में इस बात का उल्लेख किया गया
वास्तव में नंदी की मूर्ति समाधि स्थिति में मंदिर में विराजमान होती है। साथ ही उनकी समाधि खुली आँखों की समाधि हैं। महाभारत में इस बात का जिकर किया गया है। भगबान नन्दी की स्थिति को वर्णित करते हुए बताया गया है कि खुली आँखों बाली मूर्ति से ही आत्मा ज्ञान की प्राप्ति होती है। साथ ही आत्मज्ञान की प्राप्ति से ही जीवन की मुक्ति संभव हो पाती है।
पहले नंदी को प्रणाम करने का विधान
शिवालय में प्रवेश करने से पहले नंदी को प्रणाम करने का विधान है। महाकाल की नगरी उज्जैन मंदिर के आस पास एक नंदी रूपी बैल देखा जाता है। अन्न सभी शिव मंदिरों में नंदी भगवन की प्रतीमा गर्व गृह के बाहर भी होती है।
नंदी के सींग विवेक और वैराग्य के प्रतीक है। दाहिने हाथ की तर्जनी और अंगूठे से नंदी के सींगो का दर्शन स्पर्श करते हुए भगवान शिव के दर्शन किये जाते है। मान्यता है इस प्रकार भक्त में घमण्ड का नाश होता है। अतः भक्त भी मंदिर में प्रवेश करते समय सभी कुविचारों का त्यागकर ईश्वर के दर्शन करे। शिव देवो के देव महादेव कहे जाते है। महा देव की महिमा आज भी बरकार है।
नंदी के कान में भी अपनी समस्या या मनोकामना कहने के कुछ नियम हैं उनका पालन करना आवश्यक है। अगर आप चाहते है कि नन्दी के कानों में कही हुई मनोकामना पूरी हो जाए तो आपको इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। इस बात का हमेशा ध्यान रखे कि आपकी कही हुई बात को कोई दूसरा सुने नहीं अपनी मनोकामना को धीरे धीरे से कहे कि आपके पास खड़ा व्यक्ति भी सुन न पाएं।
इतना ही नहीं नन्दी के कानों में अपनी मनोकामना को कहते समय अपने होठों को अपने दोनों हाथों से ढंक ले ताकि कोई दूसरा व्यक्ति उस बात को कहते हुए आपको न देखे। जब आप नन्दी के कानो में अपनी मनोकामना कह दे उसके बाद नन्दी का पूजा भी करे और मनोकामना कहने के बाद नन्दी महाराज के आगे कुछ भेंट भी रखे। ये भेट कुछ पैसे या फल कुछ भी हो सकता है।