
Shaktipeeth : माता सती के त्रिनेत्र जहां -जहां गिरे वह शर्कररे शक्तिपीठ कहलाए
Shaktipeeth – माँ सती के शक्तिपीठ के बारे में बहुत बार सुना होगा। कहते है कि जिस भी स्थान पर सती के अंग व कपड़े गिरे उन स्थानों पर शक्तिपीठो का निर्माण हुआ। दरहसल आपको बता दे -देवी पुराण में माता सती के 51 शक्तिपीठों का उल्लेख मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार आदि शक्ति के एक रूप सती ने शिवजी से विवाह किया, लेकिन इस विवाह से सती के पिता दक्ष खुश नहीं थे। बाद में दक्ष ने एक यज्ञ किया तो उसमें सती को छोड़कर सभी देवताओं को आमंत्रित किया। लेकिन इस बाद भी सती बिना बुलाए यज्ञ में चली गईं।
Shaktipeeth : माता सती के त्रिनेत्र जहां -जहां गिरे वह शर्कररे शक्तिपीठ कहलाए
जब सती अपने पिता के घर पहुंची तब वह उन्हें पिता दक्ष ने शिवजी के बारे में अपमानजनक बातें कहीं। सती इसे सह न सकीं और अपने आप को अग्नि में समर्पित कर दिया। उधर देवी सती आग में जली इधर भगवान शिव की तीसरी आँख खुलने से संसार में हाहाकार मचने लगे ,दुख में डूबे शिव ने सती के शरीर को उठाकर विनाश नृत्य आरंभ किया। जिसकी वजह से संसार में हाहाकार मच गया। सभी भक्तगण डरने लगे। ऐसे में इस स्थिति को ठीक करने के लिए जगत के पालनहार भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र का प्रयोग कर देवी सती के शरीर के टुकड़े टुकड़े कर दिए , जो कि भारत सहित अन्य देशो में भी जाकर गिरे। हां-जहां सती के शरीर के अंग गिरे, वो स्थान शक्तिपीठ बन गए। शक्तिपीठों के स्थानों और संख्या को लेकर ग्रंथों में अलग बातें कही गई हैं। शक्तिपीठों की भी अलग अलग संख्या बताई गई है। आज हम आपको अपने लेख के माध्यम से आपको 51 शक्तिपीठों में से एक जहा पर माता का त्रिनेत्र गिरा था उसके बारे में बताने जा रहे है।
जहां गिरा देवी का त्रिनेत्र –
वैसे तो देवी का प्रत्येक शक्तिपीठ काफी महत्त्व रखता है लेकिन आज के समय में भी बहुत कम ही लोगों को सम्पूर्ण शक्तिपीठो का ज्ञान है। लोग आज भी कुछ प्रचलित शक्तिपीठ के बारे में जानते है। आपको बता दे ,जिस स्थान पर माता सती का त्रिनेत्र गिरा था। यह क्षेत्र शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ के नाम से जाना जाता है। माता सती के त्रिनेत्र अलग अलग स्थान पर गिरे। जिसके बारे में अब हम आपको पूर्ण जानकारी दे देते है। आपको बता दे – पाकिस्तान में कराची के सुक्कर स्टेशन के निकट स्थित है शर्कररे शक्तिपीठ, जहां माता की आंख गिरी थी। इसकी शक्ति- महिषासुरमर्दिनी और भैरव को क्रोधिश कहते हैं।
इसके अलावा बताया ये भी जाता है कि नैनादेवी मंदिर में माता सती कि दूसरी आँख गिरी थी जो कि बिलासपुर हिमाचल प्रदेश में स्थित है। जिसे शिवहारकराय शक्तिपीठ नाम से भी जाना जाता है, और महाराष्ट्र के कोल्हापुर स्थित ‘करवीर शक्तिपीठ’ पर माता का त्रिनेत्र यानि तीसरा नेत्र गिरा था। जिसकी देवी ‘महिषासुरमर्दनी’ तथा भैरव ‘क्रोधशिश’। इतना ही नहीं इसे महालक्ष्मी का निज निवास भी माना जाता है। अंत में आपको ये भी बताते चले कि यहाँ पर विराजमान देवी शक्ति महिषासुरमर्दनी और भैरव को क्रोधशिश के रूप में पूजा जाता है।