
Shanta शांता कौन थी ? रामायण से जुड़ा आश्चर्यजनक रहस्य
Shanta – शांता रामायण का एक ऐसा पात्र जिसके बारे में शायद ही आपने सुना होगा , शांता इस नाम को सुनकर आप भी आश्चर्य में पड़ गए होंगे। क्यों रामायण का रूपांतरण तो आपने टीवी पर धारावाहिक के रूप में जरूर देखा होगा। लेकिन कही भी शांता का ज़िक्र नहीं मिला होगा। लेकिन अगर शांता नहीं होती तो रामायण की रचना भी नहीं हो पाती। तो आज हम आपको अपने लेख के माध्यम से शांता के बारे में बताने जा रहे है। साथ ही आपको ये भी बताएंगे कि शांता क्यों रामायण का अहम पात्र मानी जाती है।
Shanta शांता कौन थी ? रामायण से जुड़ा आश्चर्यजनक रहस्य
Shanta वाल्मीकि रामायण में मिलता है शांता का उल्लेख –
शांता का प्रसंग मिलता हैं वाल्मीकि रामायण के बालकाण्ड में , जब आप बालकाण्ड के श्लोको को पढ़ते हैं तो , शांता के अस्तित्व का जिक्र आपको मिलता हैं। बता दे आपको शांता और कोई नहीं बल्कि श्री राम की बड़ी बहन ही थी। अब आपके मन में प्रश्न आ रहा होगा अगर शांता श्री राम की बहन थी तो, रामायण में इनका परिचय विस्तार से क्यों नहीं दिया गया। कभी राम, लक्ष्मण , भरत, शत्रुघ्न के साथ शांता का ज़िक्र क्यों नहीं किया गया। ऐसा इसलिए हुआ क्यों की राजा दशरथ ने शांता को रोमपाद के नरेश को गोद दे दिया था।
शांता जो कि राजा दशरथ और माता कौशल्या कि पुत्री थी। एक बार राजा दशरथ के मित्र और अंगदेश के राजा रोमपाद और उनकी रानी वर्षिणी उनके राज्य अयोध्या आये। बातचीत के दौरान राजा रोमपाद ने इस बात का ज़िक्र किया कि उनके कोई संतान नहीं हो रही हैं। इस पर राजा दशरथ ने अपनी पुत्री शांता को राजा रोमपाद को दत्तक पुत्री के रूप में दे दिया। शांता को पुत्री रूप में प्राप्त कर राजा रोमपाद व उनकी रानी वर्षिणी बहुत प्रसन्न हुए। वह ख़ुशी ख़ुशी शांता को आपने साथ लेकर आपने राज्य को लौट गए। शांता कि परवरिश उन्होंने बिलकुल अपनी पुत्री कि तरह ही क। शांता को लेकर राजा रोमपाद का स्नेह इतना ज्यादा था कि उन्हें पुत्री मोह में कुछ दिखाई भी नहीं दिया करता था। एक बार जब राजा रोमपाद के राज्य अंगदेश में अकाल पड़ने लगा जिसकी पूरी व्याख्या हमने आपके साथ अपनी पिछली वीडियो में साझा की थी कि कैसे राजा रोमपाद के राज्य में अकाल पड़ा ऋषि विभाण्डक और उनके पुत्र ऋषि ऋष्यश्रृंग कि पूरी कहानी हमने आपको बताई। राजा रोमपाद ने अपनी दत्तक पुत्री शांता का विवाह ऋषि ऋष्यश्रृंग के साथ कराया और दोनों ख़ुशी ख़ुशी रहने लगे
अब बात आती हैं शांता ने रामायण में कैसे अपनी भूमिका निभाई। तो आपको बता दे जब राजा दशरथ को सालों तक पुत्र रत्न कि प्राप्ति नहीं हुई। जिसे लेकर राजा दशरथ सहित उनकी तीनों रानियां काफी चिंतित थी। अपनी इस चिंता को दूर करने के लिए राजा दशरथ ऋषि वशिष्ठ के पास पहुंचे। ऋषि वशिष्ठ ने उन्हें सलाह दी की आपको पुत्र प्राप्ति हेतु एक महायज्ञ कराना होगा ,जिसे केवल ऋषि ऋष्यश्रृंग ही करेंगे तभी आपका यज्ञ सफल माना जाएगा।
पुत्र प्राप्ति की इच्छा मन में लिए राजा दशरत ऋषि ऋष्यश्रृंग के पास पहुंचे ,राजा उस समय बिल्कुल अनजान थे की ऋषि ऋष्यश्रृंग और कोई नहीं बल्कि उनके दामाद ही हैं। पहले तो ऋषि ऋष्यश्रृंग ने इस यज्ञ को करने से मना कर दिया फिर शांता के कहने पर ऋषि ऋष्यश्रृंग इस यज्ञ को करने के लिए मान गए। तब पुत्र की कामना करते हुए ऋषि ऋष्यश्रृंग ने यज्ञ को किया जिसके फलस्वरूप राम ,लक्ष्मण ,भरत ,शत्रुघ्न का जन्म हुआ। इस प्रकार से अगर शांता नहीं होती तो श्री राम का जन्म नहीं हो पता इसलिए हमने आपको कहा था की रामायण में शांता की अहम भूमिका हैं।
Shanta शांता से जुड़ा अन्य रहस्य –
इसके अलावा कहा जाता है कि यज्ञ के बदले में राजा दशरथ ने ऋंग ऋषि को उनके परिवार के भरण-पोषण लिये बहुत सारा धन दिया। चूंकि उनकी तपस्या का पुण्य यज्ञ की आहुति में चला गया था इसलिये इसके बाद ऋंग ऋषि फिर से तपस्या करने के लिये हिमालय की ओर चले गये। और आपकी अधिक जानकारी के लिए ये भी बता दे कि शांता और ऋषि ऋष्यश्रृंग का प्रमाण हिमाचल के कुल्लू शहर स्थित एक मंदिर में भी हैं जहा पर शांता और ऋषि ऋष्यश्रृंग की प्रतिमा पूजा की जाती हैं।