
Shiv Pooja : भगवान शिव की आरती में क्यों नहीं बजाया जाता शंख ?
Shiv Pooja – जैसा कि हम सभी जानते है सावन का पावन महीना चल रहा है। सावन के महीने में हर शिव भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने में लगा रहता है। कहते है कि जिस भी भक्त ने सावन के महीने में भगवाना शिव को प्रसन्न कर दिया उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है। ऐसे में भक्त भी भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा में कई चीज़े अर्पित करते है। लेकिन क्या आप जानते है भगवान शिव की आरती करते समय शंख बजाना पूरी तरह से वर्जित बताया गया है। मान्यता कहती है कि शंख की आवाज़ जहा तक जाती है उतनी दूर का वातावरण सकारात्मक हो जाता है। देवी देवताओं की आरती करते समय शंख बजाने से देवी देवता भी प्रसन्न होते है। लेकिन ऐसी क्या वजह है जिसकी वजह से भगवान शिव की पूजा में शंख को नहीं बजाया जाता है। आज हम आपको अपने लेख के माध्यम से उसी खास कारण के बारे में बताने जा रहे है।
Shiv Pooja : भगवान शिव की आरती में क्यों नहीं बजाया जाता शंख ?
अधिकतर लोग शंख को अपने मंदिर में रखते है और जब भी पूजा पाठ करते है तो शंख जरूर बजाते है। शंख की आवाज़ में ही एक पॉजिटिव एनर्जी का वास होता है। इसकी ध्वनि मात्र से ही पूरा वातावरण पॉजिटिव हो जाता है। लेकिन शिव जी की पूजा में शंख नहीं बजाया जाता इतना ही नहीं शंख में पानी भरकर शिवलिंग का अभिषेक भी नहीं किया जाता है।
दरहसल शिव जी की पूजा में शंख का इस्तेमाल न करनेके पीछे एक खास वजह है। पौराणिक कताओं के अनुसार शिव जी ने एक बार अपने त्रिशूल से शंखचूड़ नाम के एक असुर का वध कर दिया था। कहते है कि राक्षस की राख से शंख की उत्पत्ति हुई थी। बस तभी से भगवान शिव की पूजा में शंख का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
इसके अलावा एक वजह और बताई जाती है। जो कि इस प्रकार है एक बार की बात है शिव जी तपस्या में लीन रहते थे। ऐसे में जब शंख बजाया जाता है तो उस से निकलने वाली आवाज से उनकी तपस्या भंग हो जाती है और अगर ऐसा होता है तो भगवान शिव नाराज़ हो जाते है। जिसके बाद भक्तो को पानी पूजा का पूर्ण फल नहीं मिल पाता है।