
Unknown Facts About Lord Ganesha : एक चूहा कैसे बना भगवान गणेश का वाहन
Unknown Facts About Lord Ganesha – इन दिनों हर तरफ गणपति बप्पा मोरया की जयकार सुनने को मिल रही है। गणेश चतुर्थी के दिन बप्पा का आगमन हुआ अब भक्त बड़ी ही श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा उनकी सेवा में जुटे हुए है। हमारा हिन्दू धर्म एक मात्र ऐसा धर्म हैं जहा देवी देवताओं को तो श्रद्धा के साथ पूजा जाता ही है। लेकिन उसी के साथ देवी देवताओं के वाहन कि भी पूजा की जाती हैं।
Unknown Facts About Lord Ganesha : एक चूहा कैसे बना भगवान गणेश का वाहन
अब देवों के देव महादेव की बात करे तो उनके साथ साथ उनके वाहन नंदी बैल को भी पूजा जाता है। आदि शक्ति के साथ उनकी सवारी शेर को भी पूजा जाता हैं तो वही विष्णु जी के साथ शेषनाग की भी पूजा की जाती हैं।इसी तरह भगवान गणेश की सवारी मूषक यानि कि एक चूहा हैं , अब कैसे एक चूहा भगवान गणेश का वाहन बना आज हम आपको अपने लेख के माध्यम से इस बारे में जानकारी देने जा रहे है।
देवी-देवताओं के जन्म ,वरदान,श्राप व उनके वाहन से जुडी हर कथा का उल्लेख पुराणों व शास्त्रों में किया गया है। इसी तरह से मूषकराज के गणेश जी का वाहन बनने के पीछे भी एक कथा जुडी हुई है। गणेश पुराण के अनुसार भगवान गणेश का चूहा पूर्व जन्म में एक गंधर्व था जिसका नाम क्रोंच था। एक बार देवराज इंद्र की सभा में गलती से क्रोंच का पैर मुनि वामदेव के ऊपर पड़ गया। मुनि वामदेव को लगा कि क्रोंच ने उनके साथ शरारत की है। इसलिए गुस्से में आकर उन्होंने उसे चूहा बनने का शाप दे दिया। उस शाप के कारण क्रोंच एक चूहा बन चुका था। लेकिन वह विशालकाय था। वह इतना बड़ा था कि अपने रास्ते में आने वाली हर एक चीज़ को खत्म कर दिया करता था।
यह द्वापर युग की बात है जब एक दिन अचानक एक बहुत ही बलवान मूषक महर्षि पराशर के आश्रम में आ घुसा। यहां आकर वह महर्षि और उनके आश्रम में मौजूद लोगों को परेशान करने लगा। कभी वह महर्षि के आश्रम के मिट्टी के बर्तन तोड़ देता तो कभी अनाज को नष्ट कर देता।धीरे-धीरे करके उसने सम्पूर्ण आश्रम की दशा ही बदल डाली।
उसके खुराफात की सीमा तो तब टूट गई जब उसने ऋषियों के वस्त्र और ग्रंथों तक को कुतर डाला। मूषक की इस करतूत से दुःखी होकर महर्षि पराशर गणेश जी की शरण में गए। गणेश जी महर्षि की भक्ति से प्रसन्न हुए और उत्पाती मूषक को पकड़ने के लिए अपना पाश फेंका। पाश मूषक का पीछा करता हुआ पाताल लोक पहुंच गया और उसे बांधकर गणेश जी के सामने ले आया।
गणेश जी को अपने सामने देखकर मूषक उनकी स्तुति करने लगा बिना देरी किये मूषक ने गणेश जी की आराधना शुरू कर दी और अपने प्राणों की भीख मांगने लगा। इसके बाद भगवान गणेश मूषक की तपस्या से काफी प्रसन्न हुए और उस से कहा कि “तुमने लोगो को बहुत दुःख दिए है और मैंने तो अवतार ही साधु पुरुषो के कल्याण एवं दुष्टो के नाश के लिए लिया है।
लेकिन जो भी मेरी शरण में आता है उसकी रक्षा करना भी मेरा परम धर्म है। इसलिए तुम मांगो क्या वरदान माँगना चाहते हो। ये सुनकर वह उपद्रवी मूषक अहंकार से भर उठा और भगवान गणेश से बोला कि मुझे आपसे कुछ भी नहीं चाहिए लेकिन अगर आप चाहे तो मुझसे वर मांग सकते है। मूषक की ऐसी वाणी को सुनकर गणेश जी मन ही मन मुस्कुराने लगे और कहा कि अगर तेरा वचन सत्य है तो तू आज से मेरा वाहन बन जा।
इस पर मूषकराज ने तुरंत ही तथास्तु कह दिया , अपने अभिमान के कारण मूषक गणेश जी का वाहन बन गया। लेकिन गणेश जी का वाहन बनना उसके लिए कितना कठिन होने वाला था इस बात का उसे बिल्कुलअंदाज़ा नहीं था। जैसे ही गणेश जी मूषक पर चढ़े गणेश जी के भार से वह दबने लगा। इसके बाद मूषक ने गणेश जी से कहा कि प्रभु में आपके भार से निचे दबा जा रहा हुआ। कृपया आप कुछ ऐसा करे जिस से कि मैं आपके भार को आसानी से संभाल सकूं।
उसके बाद मूषक के कर्तव्य भाव को देखते हुए गणेश जी ने अपना भार कम कर लिया। इसके बाद से मूषक गणेश जी का वाहन बनकर उनकी सेवा में लगा हुआ है। गणेश जी के साथ ही मूषकराज के पराक्रम कि भी कई कथाएं शास्त्रों में मिलती हैं। इस तरह से मूषकराज बन गया भगवान गणेश का वाहन।