
Shiva Purana भगवान शिव ने क्यों लिया अर्धनारीश्वर अवतार
Shiva Purana - भगवान शिव के कई स्वरुप हैं, मगर उनका अर्धनारीश्वर अवतार सबसे खास माना जाता है। इस स्वरूप में संसार के विकास की कहानी छुपी हुई है। Shiva Purana शिव पुराण, नारद पुराण सहित अन्य कई पुराणों के अनुसार अगर शिव इस स्वरूप को धारण नहीं करते तो सृष्टि आज भी वीरान रह जाती। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताने जा रहे है कि आखिरकार क्यों भगवान शिव ने अर्धनारीश्वर अवतार लिया।
इस वजह से भगवान शिव ने लिया अर्धनारीश्वर अवतार
जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण पूरा कर लिया तब उन्होंने देखा कि जैसी सृष्टि उन्होंने बनायी उसमें विकास नहीं हो सकता| जिन पशु-पक्षी, मनुष्य और कीट-पतंग की रचना उन्होंने की है उनकी संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो रही है। जब तक उनमें जान हैं वह तब तक ही जीवित रहेंगे। इसे देखकर ब्रह्मा जी परेशान हो गए। उनकी परेशानी देखकर विष्णु जी ने उन्हें शिव जी की तपस्या करने को कहा, शिवजी ब्रह्मा जी के कठोर तप से खुश हुए और उन्हें मैथुनी सृष्टि की रचना करने का आदेश दिया| ब्रह्मा जी ने शिव जी से पूछा कि मैथुनी सृष्टि कैसी होगी| मैथुनी सृष्टि का अर्थ समझाने के लिए शिव जी ने अपने शरीर के आधे भाग को नारी रूप में प्रकट किया। इसके बाद नर और नारी भाग अलग-अलग हो गये।
ब्रह्मा जी नारी को प्रकट करने में असमर्थ थे इसलिए ब्रह्मा जी की प्रार्थना पर शिवा यानी शिव के नारी स्वरूप ने अपने रूप से एक अन्य नारी की रचना की और ब्रह्मा जी को सौपा। इसके बाद मैथुनी सृष्टि से संसार का विकास होने लगा। शिव के नारी स्वरूप ने हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लेकर शिव से मिलन किया।
Lord Shiva has many forms, but his Ardhanarishvara avatar is considered to be the most special. The story of the development of the world is hidden in this form.