
Yogini Ekadashi 2022 : 24 जून योगिनी एकादशी पर जरूर पढ़े ये व्रत कथा
Yogini Ekadashi 2022 – हिन्दू धर्म के अनुसार हर एकादशी का अपना अलग महत्त्व बताया गया है। अलग अलग महत्त्व होने की वजह से सभी एकादशी का अपना अलग नाम भी है। आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी Yogini Ekadashi 2022 के नाम से जाना जाता है। इस बार यह एकादशी 24 जून को पड़ रही है। कहते है कि योगिनी एकादशी Yogini Ekadashi 2022 पर व्रत रखने से समस्त पापों का नाश हो जाता है , और व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। आइये आपको इस शुभ मौके पर एकादशी व्रत कथा के बारे में बताते है।
Yogini Ekadashi 2022 योगिनी एकादशी व्रत कथा –
पौराणिक काल सी बात है स्वर्गलोग में अलकापुरी नामक एक नगरी हुआ करती थी। उस नगर के राजा का नाम कुबेर था। जो कि भगवान शिव का सच्चा भक्त हुआ करता था। वह रोज ही भगवान शिव की पूजा अर्चना किया करता था। उसी नगर में एक हेममाली नाम एक व्यक्ति रोज राजा की पूजा के लिए ताज़ा फूल लेकर आता था। हेममाली की पत्नी का विशालाक्षी था जो कि उस नगर की सबसे सुंदर युवतियों में से एक थी।
एक दिन की बात है हेममाली मानसरोवर से फूल तो तोड़ लाया पर उन फूलों को लाकर उसने अपने घर पर रख लिया और राजा के पास ले जाना भूल गया। वह अपनी पत्नी की खूबसूरती में खोकर उसके संग रमण करने लगा और उसे समय का जरा भी ध्यान न रहा। ऐसे में देखते देखते दोपहर का समय हो गया। जब दोपहर तक राजा के पास फूल नहीं पहुंचे तो राजा ने अपने महल के सैनिको को हेममाली का पता करने को कहा और उसे अपने पास लेकर आने को कहा। सभी सैनिक महल से निकलकर हेममाली के घर की तरफ जाने लगे जब हेममाली के घर सभी सैनिक पहुंचे तो हेममाली को अपनी पति के साथ रमण करते हुए पाया और फिर महल आकर राजा को सारी बात बताई। ये पूरी व्यथा सुनकर राजा कुबेर बहुत ही क्रोधित हो उठे। नगर के राजा कुबेर के गुस्सा करने की वजह ये थी कि कोई व्यक्ति काम के समय में स्त्री मोह में इतना कैसे डूब सकता है कि उसे समय व अपने काम का आभास ही न रहे। फिर राजन ने हेममाली को अपने दरबार में आने का निर्देश दिया।
जब हेममाली के पास राजा का बुलावा आया तो वह काफी डर गया। फिर राजन ने क्रोध में आकर हेममाली को श्राप देते हुए कहा कि – हे मुर्ख काम के समय पर तू स्त्री मोह में सब कुछ भूल गया जिस से तूने मेरे इष्ट महादेव का अपमान किया है , अब में तुझे श्राप देता हूँ कि तुझे अपनी स्त्री का वियोग सहन करना पड़ेगा और पृथ्वीलोक पर जाकर तुझे अब एक कोढ़ी का जीवन व्यतीत करना होगा।
राजा के ऐसा कहते ही हेममाली स्वर्ग से गायब हो गया और पृथ्वी लोक में जा पहुंचा। जैसे ही हेममाली के पैर पृथ्वीलोक पर पड़े तो उसका पूरा शरीर कोढ़ी हो गया। पृथ्वीलोक में जाकर हेममाली को बहुत दुःख भोगने पड़े वह अन्न के दाने के लिए भी तरस गया और जंगलो में भटकता रहा। हेममाली पृथ्वीलोक पर आकर अपनी इस स्थिति से बहुत ही ज्यादा परेशान हो चूका था। फिर एक दिन हेममाली भटकता भटकता ऋषि मार्कण्डेय के आश्रम में जा पहुंचा। आश्रम पहुंचकर हेममाली ऋषि मार्कण्डेय के चरणों में जाकर सहायता कि भीख मांगने लगा।हेममाली को इस हालत में देख ऋषि ने फिर उस से पूरी व्यथा पूछी। तब हेममाली ने सारी बात ऋषि मार्कण्डेय को बताई। हेममाली की सभी बातों को सुनकर ऋषि मार्कण्डेय बोले – हे बालक तूने मेरे सामने सत्य वचन कहे है और अपनी दुखभरी व्यथा को सुनाया है इसलिए अब मैं तेरे उद्धार के लिए एक व्रत बताने जा रहा हूँ। अगर तू आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष में आने वाली योगिनी एकादशी व्रत का विधिपूर्वक व्रत करता है तो तेर सभी पाप नष्ट हो जाएंगे। ये सुनकर हेममाली ने योगिनी एकादशी की पूर्ण विधि जानी और ऋषि की आज्ञा अनुसार योगिनी एकादशी का व्रत विधि पूर्वक किया। योगिनी एकादशी के व्रत प्रभाव की वजह से हेममाली को अपना स्वरुप एक बार फिर से वापस मिल गया , और एक बार फिर से स्वर्गलोक जाकर सुखपूर्वक रहने लगा।