
Jagannathpuri : जगन्नाथ पुरी से जुड़े अनसुने तथ्य
Jagannathpuri – चार तीर्थो में से एक जगन्नाथ मंदिर जो कि हिन्दुओं के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक हैं। भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए ये मंदिर काफी महत्त्व रखता है। वैसे तो इस मंदिर से जुड़े कई रहस्य है , कई ख़ास बाते है जो इसे भगवान कृष्ण के दूसरे मंदिरों से भिन्न बनाती है। इस मंदिर की सबसे अधिक प्रसद्धि की वजह है यहाँ पर होने वाली रथयात्रा। हिन्दू पंचांग के अनुसार , हर साल रथ यात्रा आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकाली जाती है। इस साल ये रथ यात्रा 1 जुलाई के दिन निकाली जाएगी। लेकिन क्या आप जानते है कि, रथयात्रा Jagannathpuri से पहले कुछ परम्पराएं निभाई जाती है जिसकी शुरुआत हो चुकी है। दरहसल रथयात्रा से ठीक पहले 15 दिनों के लिए श्री कृष्ण रूपी जगन्नाथ उनके बड़े भाई बलराम और उनकी बहन सुभद्रा को 15 दिनों तक एकांतवास में रखा जाता है।
Jagannathpuri : जगन्नाथ पुरी से जुड़े अनसुने तथ्य
इन्ही परम्पराओं को निभाते हुए ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन जगन्नाथ मंदिर Jagannathpuri में भगवान जगन्नाथ को उनके बड़े भाई बलराम और उनकी बहन सुभद्रा तीनों को स्नान करवाया जाता है। क्योंकि जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा जी को 108 घड़ों के पानी से स्नान करवाया जाता है। इस स्नान को सहस्त्रधारा स्नान के नाम से जाना जाता है। 108 घड़े के ठंडे पानी से नहाने के बाद तीनो देव बीमार हो जाते है। ऐसे में उन्हें एकांतवास में रखा जाता है। जब तक वे तीनों एकांतवास में रहते है तब तक मंदिर के कपाट नहीं खुलते। एकांतवास से आने के बाद ही भक्तो के दर्शन के लिए कपाट खोले जाते है । इस साल 14 जून ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन तीनों देवो को स्नान करवा दिया गया है।
Jagannathpuri जगन्नाथ मंदिर से जुडी खास बातें
1 जिस जगन्नाथ मंदिर को आज आप सभी देख पा रहा है। वर्तमान में उस मंदिर का निर्माण कार्य कलिंग राजा अनंतवर्मन चोडगंगदेव ने शुरू करवाया था। साल 1197 की बात है जब ओडिशा के शासक अनंगभीमदेव ने इस मंदिर को वर्तमान रूप दिया था , इस मंदिर के गर्भगृह में आपको प्रभु जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और अपनी बहन सुभद्रा के साथ देखने को मिलते है।
2 इस मंदिर मे ध्वजा से जो चमत्कार होता है उसे देखकर हर कोई हैरान रह जाता है। प्रभु के मंदिर के शिखर पर स्थित पवित्र ध्वज हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है। एक और अद्भुत बात इस झंडे से जुड़ी हुई है। वह यह कि इसे हर रोज बदला जाता है और बदलने वाला व्यक्ति भी उल्टा चढ़कर ध्वजा तक पंहुचता है। मान्यता है कि यदि एक दिन ध्वजा को न बदला जाये तो मंदिर के द्वार 18 साल तक बंद हो जाएंगे। इसलिए चाहे कुछ भी हो जाएं ध्वज को रोजाना ही बदला जाता है।
3 श्री जगन्नाथ के मंदिर में स्थित रसोई दुनिया की सबसे बड़ी रसोई मानी जाती है। इसमें एक साथ 500 के करीब रसोइये और 300 के आस-पास सहयोगी भगवान के प्रसाद को तैयार करते हैं। दूसरी बात यह है कि प्रसाद पकाने के लिये सात मिट्टी के बर्तनों को एक दूसरे के ऊपर रखा जाता है और प्रसाद पकने की प्रक्रिया सबसे ऊपर वाले बर्तन से शुरू होती है। मिट्टी के बर्तनों में चूल्हे पर ही प्रसाद पकाया जाता है सबसे नीचे वाले बर्तन का प्रसाद आखिर में पकता है। इस रहस्य को आज तक कोई नहीं सुलझा पाया कि आखिर निचे वाले बर्तन का प्रसाद पहले पकना चाहिए तो भला ऊपर वाले बर्तन का प्रसाद कैसे पहले पक जाता है। एक खास बात और है कि इस मंदिर में आज तक न कभी प्रसाद कम पड़ा है और न ही ज्यादा हुआ है।
4 यहां मंदिर के शिखर पर ही अष्टधातु से निर्मित सुदर्शन चक्र है। इस चक्र को नील चक्र भी कहा जाता है और इसके दर्शन करना बहुत शुभ माना जाता है। इस चक्र की विशेषता यह है कि यदि किसी भी स्थान से या किसी भी दिशा से इस चक्र को आप देखेंगे तो ऐसा लगता है जैसे इसका मुंह आपकी तरफ हैऔर ये बिल्कुल सीधा नजर आता है।
5 यह कहावत तो आप सभी ने जरूर सुनी होगी कि मर्जी के बिना परिंदा भी पर नहीं मार सकता लेकिन प्रभु जगन्नाथ मंदिर में तो इस कहावत को सच होते हुए आप देख सकते हैं। पक्षियों का मंदिर के ऊपर से उड़ना तो दूर हवाई जहाज या हेलीकॉप्टर तक मंदिर के ऊपर से नहीं गुजरते।
6 वही, मान्यता है कि एक बार सुभद्रा ने द्वारिका भ्रमण की इच्छा अपने भाई श्री कृष्ण और बलराम के सामने रखी। दोनों भाई अलग-अलग रथ में बैठकर बहन को द्वारिका भ्रमण कराया था। तब से रथयात्रा की पंरपरा शुरू हो गई। इस यात्रा में दुनिया के कोने-कोने से लोग इस यात्रा में शामिल होने आते हैं।